आदरणीय साथिओ,
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आदरणीया प्रतिभा जी , कथा के अनुमोदन हेतु विनम्र आभार।
जनाब टी आर शुक्ल साहिब ,सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें।
आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब कथा के अनुमोदन हेतु विनम्र आभार।
बहुत बढ़िया तंज़ और बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है आदरणीय डॉ. टी.एस.सुकुल जी | बधाई स्वीकारें आदरणीय|
आदरणीया कल्पना जी , कथा के अनुमोदन हेतु विनम्र आभार।
अच्छी लघुकथा की बधाई कुबूल करें
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी कथा के अनुमोदन हेतु विनम्र आभार।
भारतवासियों की माँ
‘यह वही लड़का है मॉम मैंने जिसे पसंद किया .ये है तो फारेनर पर बी एम सी (ब्रिटिश मॉडल कॉलेज ) में मेर सीनियर हैं ‘ – मिस कैरोलीन ने अपनी माँ से कहा –‘मॉम मेरे पापा भी तो फारेनर थे न. पर वह तुम्हें यहाँ अकेला छोड़कर चले गए थे.’
‘हाँ कैरो, वह बात अब पुरानी हो चुकी है .’ मॉम ने लडके का भरपूर जायजा लेते हुए कहा, ’क्या तुम मेरी बेटी को पसंद करते हो ?’-
‘एस्स्स्स ---‘ लड़के ने सकुचाते हुए कहा .
‘उससे शादी भी कर सकते हो ?’
‘माय फार्च्यून’
‘लेकिन तब तुम अपने देश लौट नहीं पाओगे. मेरी बेटी के साथ यही ब्रिटेन में रहना होगा. हमारे पास संपत्ति की कोई कमी नहीं है. प्लेंटी ऑफ़ फॉरच्यून्स आर हियर.’ मॉम ने अपनी शर्त रखी – ‘कैरी इज माय ओनली डाटर, आई कान्ट कोप विद हर सेपरेशन’
‘सॉरी मॉम, यह पॉसिबल नहीं है. मैं यहाँ पढने आया था. मेरी एजुकेशन पूरी हो चुकी है. मुझे वापस जाना होगा. मैं किसी भी सिचुएशन में अपना देश नहीं छोड़ सकता.’
तुम्हे अपना देश प्यारा है या मेरी बेटी ?’
‘नो डाउट, आई लव कैरी पर माय कंट्री इज माय मदर ‘
मॉम के चेहरे पर हैरत के भाव उभरे . उन्होंने चौंककर लड़के को ऐसे देखा मानो वह कोई अजूबा हो. उन्हें वर्षों पहले की कोई भूली-बिसरी घटना याद आ गयी . उन्होंने औचक एक सवाल किया- ‘आर यू इंडियन ?’- आवाज मानो किसी गहरे सुरंग से आयी हो .
‘नहीं, मैं भारतीय हूँ. ‘-लडके ने जवाब दिया .
‘क्या तुम्हारा देश इंडिया नहीं है ?‘
‘नहीं, मेरा देश भारत है और वह मेरी माँ है- ‘भारत-माता’
‘भारत-माता -----ओह माय गॉड ---‘ मॉम को चक्कर आ गया . वह ‘धम’ से सोफे पर ढेर हो गयीं. लड़के ने उन्हें उठाकर बिठाया .
‘आर यू ओ. के. मॉम ’ – कैरी ने मॉम के मुख पर पानी के छींटे डालते हुए कहा.
‘हाँ मैं ठीक हूँ’ - मॉम ने सामान्य होते हुए कहा –‘ यू आर लकी बेबी. तुम्हारे पिता भी इंडियन थे. वह मुझे इण्डिया ---- नहीं -- नहीं भारत ले जाना चाहते थे. पर तब मैंने उनकीं बात नहीं मानी. पर अब मैं तुम्हे वह गलती नहीं करने दूंगी . हम भारत को इंडिया कहते हैं पर वह इंडिया नहीं भारत है और वह भारतवासियों की माँ है .
(मौलिक / अप्रकाशित)
वाह! 'इंडिया' और 'भारत' क्या बात है! बहुत उम्दा लघुकथा आदरणीय गोपाल नारायण जी । पूर्वस्मृति शैली के शानदार उपयोग से बहुत प्रभावशाली सृजन । बधाई स्वीकार करें ।
वाह। ग़ज़ब का ट्विष्ट दिया है बेहतरीन मुद्दे पर रचित लघुकथा के उत्तरार्ध व अंत में। बेहतरीन विचारोत्तेजक सृजन। फ्लैशबैक के बढ़िया प्रशिक्षण वाले बंध युक्त। हार्दिक बधाई और आभार हमें रचना के माध्यम से महत्वपूर्ण बातें समझाने के लिए आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी।
शीर्षक भी इतना ही बेहतरीन चाहिए था।
भारत और इंडिया का मूलभूत अंतर भरतीयता ही है । सुन्दर लघुकथा ।
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