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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-34 (विषय: "इतिहास")

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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वर्ष 2018 की पहली "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. गोष्ठी के पिछले 33 अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया, यह वास्तव  में हर्ष का विषय हैI कठिन विषयों पर भी हमारे लघुकथाकारों ने अपनी उच्च-स्तरीय रचनाएँ प्रस्तुत कींI विद्वान् साथिओं ने रचनाओं के साथ साथ उनपर सार्थक चर्चा भी की जिससे रचनाकारों का भरपूर मार्गदर्शन हुआI इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-34
विषय: "इतिहास"
अवधि : 30-01-2018  से 31-01-2018 
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अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
10. गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI    
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई साहब. आप का कहना बहुत सही व सटीक है.आभार आप का इस सलाह व लघुकथा पर अपना अमूल्य अभिमत देने के लिए.

मुहतरम जनाब ओम प्रकाश साहिब ,प्रदत्त विषय के अनुकूल सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।

आदरणीय तस्दीक अहमद साहब आप का आभार . आप को लघुकथा अच्छी लगी .

बहुत उम्दा भाई ओमप्रकाश क्षत्रिय जी,  लाजवाब कथ्य और बेहतरीन पंच लिए इस रचना के लिए आपको बधाई देना तो  बनता ही है..  कथा के अंत में  // वह रवीना को बताना नहीं चाहती थी कि जिस व्यापारी पति से उस की शादी हुई थी उस का कारोबार में दीवाला निकल गया था. उसे शिक्षिका की नौकरी करनी पड़ी.// इस वाक्य कोभी यदि लेखक के शब्दों में न कह कर सीमा के विचारों में ही दिखाया जाता तो अधिक अच्छा लगता भाई जी, बरहाल प्रदत विषय पर अच्छी रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय.

आदरणीय वीरेंदर वीर मेहता जी आप की इस सलाह के लिए हार्दिक आभार . इस अमल में लाने का प्रयास करूँगा.

आदरणीय ओमप्रकाश जी आदाब,

                     संदेशप्रद प्रभावशाली और विषय प्रदत्त लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । 

हार्दिक बधाई आदरणीय ओम प्रकाश जी।मनुष्य के आचार विचार पर समय और परिस्थितियों का कितना गहरा प्रभाव पड़ता है, इसे आपने बखूबी दर्शाया है।विषय को भी सुंदरता से निभाया गया है।सादर।

आदरणीय तेज वीर सिंह जी आप की समीक्षात्मक टिप्पणी पढ़ कर अच्छा लगा. आभार आप का .

आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी आप को लघुकथा प्रभावशाली लगी. शुक्रिया आप का .

आपकी रचना से मालूम हुआ कि दिये गये विषय को ऐसा बढ़िया आयाम भी दिया जा सकता है। यहां आपका गंभीर सूक्ष्म अवलोकन और बढ़िया कल्पनाशीलता देखने को मिली है। सादर हार्दिक बधाई आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रीय 'प्रकाश' जी। बस यह कहना चाहता हूं कि जब संवाद दो पात्रों के बीच हो रहा है तो रचना में नामों/ 'सीमा- रवीना' की पुनरावृत्तियों से बचा जा सकता था। पूर्ण विराम के स्थान पर बिंदी का प्रयोग क्या यहां भी स्वीकार्य है ?

आदरणीय शेख शहजाद उसमानी जी .आभार आप का  लघुकथा पर अपना अभिमत और समय देने के लिए..आप का सुझाव काबिले तारीफ है. 

शुक्रिया।

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