For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-88

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 88वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब मुज़फ्फर हनफी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"पहले ये बतला दो उस ने छुप कर तीर चलाए तो "

22 22 22 22 22 22 22 2

फेलुन   फेलुन   फेलुन   फेलुन     फेलुन   फेलुन  फेलुन  फा 

(बह्र: मुतदारिक मुसम्मन् मक्तुअ मुदायफ महजूफ)

रदीफ़ :- तो
काफिया :- आए (जाए, चलाए, आए, मिटाए, फ़रमाए आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 अक्टूबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 28 अक्तूबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 27 अक्टूबर दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 12307

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय नीलेश जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है, आखरी शेर में लगता है, "को" शब्द गल्ती से टाइप हो गया है?

आदरणीय निलेश जी,

मतला और गिरह का मिसरा बह्र के लिहाज़ से ठीक नहीं हैं. आपने मुतकारीब का वजन इस्तेमाल कर लिया है.

एक अच्छी ग़ज़ल के लिए हार्दिक शुभकामनाएं.

सादर 

आ.अजय जी 
सिवाय अंतिम मिसरे के..मेरा हर मिसरा बहर में है और अंतिम मिसरे की चूक पर भी मैं स्पष्टीकरण  दे  चुका हूँ ...
हर फेलुन या मात्रिक बहर में २२२ को १२१२, २१२१,११२२, २२११ लेने की आज़ादी है 
इसी ज़मीन पर अंदलीब शादानी का शेर है...

शफ़क़ धनक महताब घटाएँ तारे नग़्मे बिजली फूल

इस दामन में क्या क्या कुछ है दामन हाथ में आए तो..
बहर पर आप निश्चिंत   रहिये...
सादर 

आ. अजय जी,
rekhta.org बनने से कई साल पहले से अंदलीब शादानी की ग़ज़ल सुनता आया हूँ... जगजीत सिंह जी ने आवाज़ दी थी इसे...1983 के आसपास  ...खैर .....बहर का नाम और अरकान पर researchers रिसर्च करें ..
मैं शाइर हूँ... मैं तो शाइरी से काम रखूँ ....
सादर  

आदरणीय निलेश जी,

मैं भी एक अदना शायर ही हूँ researchers नहीं. लेकिन शायर को आहंग का ख्याल तो रखना ही पड़ता है.

सादर

आ. अजय जी 
अगर मिसरे बहर में नहीं होंगे तो 48 घंटे बाद अपने आप लाल हो जायेंगे ...
निदा साहब की ग़ज़ल का मतला है ..
कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी   को बहलाया है 
जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है ..
सादर 

आदरणीय निलेश जी,

मुझे लगता है इस बार का मुशायरा बह्र के लिहाज़ से एक लिटमस टेस्ट ही है. 

'दाँव पेंच' या 'दाँव पेच'.  मेरे ख्याल से 'पेच' सही शब्द है 'पेचो-ख़म' में यही 'पेच' है. शायद टाइपिंग की ग़लती है.

सादर

आ. अजय जी,
.

सही शब्द पेच پیچ ही है ..पेंच ..स्क्रू को कहते हैं..
इसी बहर में तरही मुशायरा न. 78 देखिएगा ... इसी मंच पर ...
सादर 

शायरी और व्याकरण में भी अनवर बिजनौरी जी ने भी इस बह्र का जिक्र किया है --

बहर-ए-मुतदारिक मुजाइफ़(१६ रुक्नी)मखबून मक़तूअ महजूफ 

इस पर भी मीर तकी मीर की ग़ज़ल ----पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है  इसमें कहीं भी १२१२ या २१२१ नहीं किया  और भी बड़े शायरों की ग़ज़ल हैं 

आ. दीदी ..पत्ता पत्ता बूटा बूटा से ही एक शेर 
.

आगे उस मुतकब्बिर के हम ख़ुदा ख़ुदा किया करते हैं

कब मौजूद ख़ुदा को वो मग़रूर-ए-ख़ुद-आरा जाने है.

वैसे निदा साहब का मतला देखें 
.

कभी कभी यूँ भी हम ने अपने जी को बहलाया है

जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है.

 शायद आपका संशय दूर हो ....
सादर 

धन्यवाद आ, पंकज जी 
आपका कहना ठीक है...पहले मिसरा था 
पाने वाला भी पाएगा दामन को फैलाए तो....
बाद में मैंने बदल कर वर्तमान मिसरा कहा जिस में को रह गया 
सादर 
आ. एडमिन महोदय,
संकलन से अंतिम मिसरे से को को हटा दिया जाय 


शे'अर-दर-शे'अर बेहतरीन सृजन के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय नीलेश शेवगांवकर साहब।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सादर अभिवादन। मुशाइरे में सहभागिता के लिए बहुत बधाई। प्रस्तुत ग़ज़ल के लगभग…"
32 seconds ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय महेन्द्र जी। थोड़ा समय देकर  सभी शेरों को और संवारा जा सकता है। "
28 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। यह गजल इस बार के मिसरे पर नहीं है। आपकी तरह पहले दिन मैंने भी अपकी ही तरह…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल कुछ शेर अच्छे हुए हैं लेकिन अधिकांश अभी समय चाहते हैं। हार्दिक…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

आंचलिक साहित्य

यहाँ पर आंचलिक साहित्य की रचनाओं को लिखा जा सकता है |See More
5 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया इस जगमगाती शह्र की हर शाम है…"
5 hours ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"विकास जोशी 'वाहिद' तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ…"
6 hours ago
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल जो दे गया है मुझको दग़ा याद आ गयाशब होते ही वो जान ए अदा याद आ गया कैसे क़रार आए दिल ए…"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"221 2121 1221 212 बर्बाद ज़िंदगी का मज़ा हमसे पूछिए दुश्मन से दोस्ती का मज़ा हमसे पूछिए १ पाते…"
8 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेंद्र जी, ग़ज़ल की बधाई स्वीकार कीजिए"
9 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। वो शोख़ सी निगाहें औ'…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service