For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-43

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 43 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का तरही मिसरा साहिर लुधियानवी की ग़ज़ल से लिया गया है| मिसरे के अंत में "जाउंगा" आया है यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि महिलाओं अर्थात शायराओं को "जाऊंगी" करने की छूट है है| पेश है मिसरा-ए -तरह

 

"ठोकरें खा के मुहब्बत में संभल जाऊंगा/जाऊंगी"

2122 1122 1122 22

फाइलातुन फइलातुन फइलातुन फेलुन

( बहरे रमल मुसम्मन् मख्बून मक्तुअ )

रदीफ़ :- जाऊंगा
काफिया :- अल (निकल, बदल, संभल आदि)
नोट: इस बह्र में पहले रुक्न को 2122 की जगह 1122 और अंतिम रुक्न को 22 की जगह 112 करने की छूट जायज़ है|

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 25 जनवरी दिन शनिवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 26 जनवरी दिन रविवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन से पूर्व किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | ग़ज़लों में संशोधन संकलन आने के बाद भी संभव है | सदस्य गण ध्यान रखें कि संशोधन एक सुविधा की तरह है न कि उनका अधिकार ।

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 25 जनवरी दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 14061

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरनीया सरिता जी , बहुत गम्भीर प्रयास है आपको बधाइयाँ ॥

खूबसूरत ग़ज़ल हुई है आ० सरिता भाटिया जी, सभी अश'आर खूबसूरत कहे हैं. बधाई स्वीकारें. 

हसरतें दिल में हुई कैद न निकलें बाहर
जो हवा इश्क चली तो मैं दहल जाऊँगी /

लम्हे तुम ने जो दिए उनसे है रोशन जीवन
उन्हीं लम्हों के सहारे ही मैं पल जाऊँगी /

 

जिन्दगी बेवफ़ा है साथ कहाँ देती है
मौत को ही बना आशिक मैं निकल जाऊँगी... बहुत ही खूबसूरत कोमल  ग़जल कही है आदरणीया सरिता जी .. दाद कुबूल कीजिये...

 

 

आदरणीया सरिता जी सादर सुन्दर प्रयास हुआ है गजल पर सादर बधाई स्वीकारें.

//वरना लगता था मैं हो विफल जाऊँगी //

 

इस मिसरे की तकती कैसे की आदरणीया ?

तू है परवाना अगर तो मैं शमा तेरी हूँ

तू २ है १ पर२ वा२/ ना(न)१ यानी आप परवाना को परवान पढ़ रही है, परवान अलग ही अर्थ रखता है,यहाँ मात्रा नहीं गिराई जा सकेगी।

कई जगह मात्रा गलत तरीके से लघु की गई है, मिसरे उलझे उलझे से लगे, तनिक और प्रयास चाहिए, मुशायरे में शामिल होने के लिए बहुत बहुत बधाई।

आ० सरिता जी 

अशआर कहने का सुन्दर प्रयास हुआ है...हार्दिक बधाई

पर कुछ मिसरे बहर तोड़ कर इधर उधर भागते दिखे.. पुनः गौर कीजिए 

सादर.

तू है परवाना अगर तो मैं शमा तेरी हूँ
तू जला प्यार में तो मैं भी पिघल जाऊँगी.............बहुत खुबसूरत

बधाई स्वीकारें आदरणीया सरिता जी

बहुत बहुत बधाई आदरणीया

इस शेर के लिए विशेष बधाई ..

तू है परवाना अगर तो मैं शमा तेरी हूँ
तू जला प्यार में तो मैं भी पिघल जाऊँगी /

मोम का बुत न समझिये कि पिघल जाऊँगी  

आग हाथों से उठाकर मैं निगल जाऊँगी  

 

रुख हवाओं का किसी रोज  बदल जाऊँगी

राह खुद अपनी  बनाकर मैं निकल जाऊँगी

 

खुश्क पत्ते  पे जरा देर मुझे रहने दो 

शबनमी शाख से वरना मैं फिसल जाऊँगी  

 

गोद में देख के पर्वत की वो रक्साँ बादल

सूखती दूब मैं खुशियों से मचल जाऊँगी  

 

पुरखतर लाख सही इश्क की राहें माना

ठोकरें खाके मुहब्बत में संभल जाऊँगी  

 

आज हालात कहाँ तुमको सहारा देदूं

सांझ की धूप जरा देर में ढल जाऊँगी  

 

शान शौकत न मुझे चाहिए कोई दौलत

प्यार के सूखे निवालों से ही पल जाऊँगी  

रेत हूँ  बाँध के रखने की खता मत करना

मुट्ठियों की मैं दरारों से निकल जाऊँगी  

**********************************

वाह आदरणीया वाह बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही है आपने सभी अशआर लाजवाब बने हुए हैं इस खूबसूरत ग़ज़ल पर ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं.

अभी-अभी बाहर से आई हूँ मुशायरे में अब सभी की ग़ज़ल पढ़ती हूँ | प्रिय अरुन ग़ज़ल आपको पसंद आई तहे दिल से आभार आपका |

बहुत खूब राजेश कुमारी जी। सभी अश’आर शानदार हैं। अच्छी ग़ज़ल के लिए दाद कुबूल करें

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जहां हम मिले थे, जहां से चले थेचलो वापसी उस डगर धीरे धीरे एक प्रभावशाली गजल हुई है आ. पूनम जी।…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई तिलकराज जी सादर अभिवादन। यह तरही से अलग है। इस पर आपसे मार्गदर्शन की अपेक्षा है। नेट की…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। मक्ता सुधारने का…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"तू पहले नदी  में  उतर धीरे-धीरेकटेगा तेरा फिर सफ़र धीरे-धीरे।१।*बहा ले न जाए सँभल तेज़…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"122 122 122 122  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे करेगी मुहब्बत असर धीरे धीरे 1 भरोसा नहीं…"
5 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सुलगता रहा इक शरर धीरे धीरे जलाता रहा वो ये घर धीरे धीरे मचाया हवाओं ने कुहराम ऐसा गिरा टूट कर हर…"
14 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"रदीफ़ क़ाफ़िया में तो ऐसा कोई बंधन नहीं है इसलिये आपका प्रश्न स्पष्ट नहीं है। "
15 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नमस्कारक्या तरही मिसरे में लिंग अनुसार बदलाव करसकते हैंक्यूंकि उसे मैं अपने अनुसार प्रयोग…"
15 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"स्वागत है।"
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"यह तरही के लिए है या पृथक से?"
16 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"स्वागतम"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )

११२१२     ११२१२       ११२१२     ११२१२  मुझे दूसरी का पता नहीं ***********************तुझे है पता तो…See More
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service