For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-146

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 146 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा जनाब कुँवर बेचैन साहब की गजल से लिया गया है |

"मगर ढूँढने में ज़माने लगेंगे"

122 122 122 122       

 

बह्र: मुत़कारिब मसम्मन सालिम

 

रदीफ़     :- लगेंगे

काफिया :- आने (बसाने, चलाने, दिखाने, नचाने, बचाने आदि)

मुशायरे की अवधि केवल इसबार तीन दिनों का है | मुशायरे की शुरुआत दिनांक 27 अगस्त दिन शनिवार को हो जाएगी और दिनांक 29 अगस्त दिन सोमवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 27 अगस्त दिन शनिवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन

बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

राणा प्रताप सिंह 

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 3719

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय अमीर जी, अगर कोई सुझाव बन पड़े तभी टिप्पणी अच्छी लगती है। आप की ग़ज़ल में ऐसा कोई मौक़ा नहीं था कि कोई कमी भी लगे और कोई सुझाव भी बन पड़े। 

आदरणीय संजय शुक्ला जी, 

आपके पुन: आगमन से लेखन सफ़ल हुआ, कोटि-कोटि आभार। 

आदरणीय दण्डपाणि नाहक़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभारी हूँ। 

आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी वह खूबसूरत ग़ज़ल कहने के लिए बहुत-बहुत बधाइयां।

जनाब अमित कुमार अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभारी हूँ।

आदरणीय अमीरुद्दीन ‘अमीर’ जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।

सादर अभिवादन।

भले ही वो घर आने जाने लगेंगे
मगर हम तो यूँ ही बिराने लगेंगे।१।
*
जरा बोल दो अब न आयें इधर वो
बुझे  घाव  फिर   मुस्कुराने  लगेंगे।२।
*
हमें अजनवी सोचना छोड़ दो तो
ये मौसम जो नीरस सुहाने लगेंगे।३।
*
सफर की न पूछो अभी यार उनसे
खुशी  में  भी  आँसू  बहाने  लगेंगे।४।
*
न बच्चों से छीनो ये बचपन सुहाना
समय  पूर्व  ही  सब  सयाने  लगेंगे।५।
*
सफ़र ज़िन्दगी का सरल खूब होगा
अगर  पेड़  पथ  के  बचाने   लगेंगे।६।
*
यहाँ बेटियों को मिटाती ये सोचें
अगर ब्याह दें सुत कमाने लगेंगे।७।
*
लिबासों में पिछड़े भले दीखते हों
विचारों में हम तक जमाने लगेंगे।८।
*
सदा रीत उल्टी चलायी जिन्होंने
उन्हें  सारे   उद्गम   दहाने  लगेंगे।९।
*
गिरह-
हमें खो तो दोगे हँसी ही हँसी में
"मगर  ढूँढने  में  ज़माने  लगेंगे"


मौलिक/अप्रकाशित

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल की अच्छी कोशिश हुई है, बधाई स्वीकार करें। 

जरा बोल दो अब न आयें इधर वो

बुझे घाव फिर मुस्कुराने लगेंगे।२।....वाह, शे'र उम्दा हुआ है। 

ये मौसम जो नीरस सुहाने लगेंगे।३।

ये नीरस-से मौसम सुहाने लगेंगे..... उचित होगा।

सफ़र ज़िन्दगी का सरल खूब होगा

अगर पेड़ पथ के बचाने लगेंगे।६।.... इस शे'र को यूँ कहना उचित होगा - 

सफ़र ज़िन्दगी का मज़ेदार होगा

अगर पेड़ भी हम बचाने लगेंगे 

सातवाँ , आठवाँ और नौवाँ शे'र आपकी ख्याति के अनुरूप नहीं हुए, आप इन्हें और बहतर कर सकते हैं।

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति उत्साहवर्धन और उत्तम सुझाव के लिए आभार। बदलाव के बाद उपस्थित होता हूँ। सादर..

आदरणीय नमस्कार

अच्छी कोशिश हुई ग़ज़ल की बधाई स्वीकारे कीजिये

अमीर जी से सहमत हूँ।

सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Akhand Gahmari shared a profile on Facebook
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम. . . . उल्फत

दोहा दशम - ..... उल्फतअश्कों से जब धो लिए, हमने दिल के दाग ।तारीकी में जल  उठे, बुझते हुए चिराग…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"उत्तम प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"वाह बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी झूठ पर आधारित सुन्दर दोहावली का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई ।सर क्या दोहे में…"
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)-----------------------------देवलोक भी जोहता,चकवे की ज्यों बाट।संत सनातन संग…See More
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Feb 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Feb 6

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service