For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यूँ तो अपना था वो कहने को

पर वो अपना हो ऐसा एहसास कहाँ,
उनके दिल में उतर कर देखा जो ख़ुद को
तो जाना उनके दिल में अपना ठौर कहाँ,
ख़ुद तजुर्बा ये मैने है पाया
इस दुनिया में वफ़ा का मोल कहाँ,
झूठे वादों पर चलती है दुनिया
सच का तो अब है मौन यहाँ,

यूँ तो अपना था वो कहने को
पर वो भी अपना हो ऐसा एहसास कहा,

मौलिक/ अप्रकाशित

रोहित डोबरियाल "मल्हार"

Views: 1012

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chetan Prakash on August 6, 2021 at 3:19am

रोहित डोबरियाल साहब,  काव्य रचना है तो काव्यानुशासन अनिवार्य है, बंधुवर  !

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on August 5, 2021 at 10:48pm

Chetan prakash ji  मैं आपका कहना समझ रहा हूँ किंतु ये बस भावनाएं हैं जो लिखी है ....अन्यथा न लें

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on August 5, 2021 at 10:47pm

Chetan prakash साहब भावनाएं विधा में ही लिखी जाएं ये जरूरी तो नही है

Comment by Chetan Prakash on August 5, 2021 at 10:35pm

जी, आदाब, आदरणीय, आप बेहतर  समझते हैं, नज़्म  कहन में निरन्तरता  के होते  ही बोधगम्य होती है , शुभ  रात्रि  !

Comment by Samar kabeer on August 5, 2021 at 10:06pm

//यूँ तो अपना  था वो कहने को" पहली पंक्ति से शुरू होकर तीसरी  पंक्ति  " उनके  दिल  में उतर कर देखा जो खुद  को//

भाई चेतन जी, आप शायद ये कहना चाहते हैं कि या तो पहली पंक्ति यूँ होना चाहिये--'यूँ तो अपने थे वो कहने को'

या पहली ज्यूँ की त्यूँ रहने दें तो तीसरी पंक्ति यूँ होना चाहिये 'उसके दिल में उतर कर देखा जो ख़ुद को'?

Comment by Chetan Prakash on August 5, 2021 at 9:47pm

मैंने पंक्तियां उद्धृत की हैं, जनाब, फिर समझने को क्या रह जाता है, सिवाय आपके विधा को समने के! 

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on August 5, 2021 at 9:18am

Chetan prakash ji आप एक बार पंक्तियों को समझें, वैसे सुझाव के लिए शुक्रिया

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on August 5, 2021 at 9:17am

अमीरुद्दीन अमीर साहब शुक्रिया

Comment by Chetan Prakash on August 5, 2021 at 7:37am

आदाब, रोहित  डोबरियाल साहब,  कविता, और  वो  भी, मुक्त  छंद  में अभिव्यक्त  अन्तर सम्बन्धों  पर , चाहे  संक्षिप्त ही क्यों  न हो, सावधानी  चाहिए!  " यूँ तो अपना  था वो कहने को" पहली पंक्ति से शुरू होकर तीसरी  पंक्ति  " उनके  दिल  में उतर कर देखा जो खुद  को" मे स्वयं  देखें  भटकाव  की शिकार  है ! सादर 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 4, 2021 at 8:48am

जनाब रोहित डोबरियाल 'मल्हार' जी आदाब, अच्छी रचना हुई बधाई स्वीकार करें।

'उनके दिल में उतर कर देखा जो ख़ुद को'  इस पंक्ति में टंकण त्रुटि हो गई है 'उतर' को 'उतार' कर लें।  सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
1 hour ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
9 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
19 hours ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
Sunday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service