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वफ़ादार झूठ - डॉo विजय शंकर

सच किस कदर लड़ता है ,
छटपटाता है सामने आने को ,
उठने नहीं देता झूठ उसे
अपना चेहरा भर दिखाने को।
झूठ कुछ नहीं होता
कोई असलियत नहीं होती उसकी ,
फिर भी हरेक झूठ दूसरे झूठ के प्रति
वफादार बड़ा होता है
एक झूठ की मदद के लिए देखिये
सौ झूठ खड़ा होता है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Dr. Vijai Shanker on January 24, 2016 at 12:33pm
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 23, 2016 at 9:57pm
आदरणीय शेख़ शहजाद उस्मानी जी , आपकी पकड़ को सलाम। जिंदगी में इतना झूठ देखा-सुना है कि लिखते लिखते थक जाऊंगा पर अथ झूठ कथा पूरी नहीं होगी , फिर भी आपका सुझाव है इसलिए लिखूंगा अवश्य। आपकी उपस्थिति एवं विचारों के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 23, 2016 at 7:19pm

विजय सर ! एक झूठ की मदद के लिए देखिये सौ झूठ खड़ा होता है।--- सार  वचन . सादर ,

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 23, 2016 at 12:39pm
हर रोज़ वफादार झूठ से दो-चार होते लोगों की दुखती रग़ पर लेखनी चलाई है साहब। बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी। इसे और विस्तार ज़रूर दीजिएगा लोगों के अनुभवों को समेटकर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 22, 2016 at 8:42pm
आदरणीय तेजवीर सिंह जी , रचना पर आपकी उपस्थिति एवं मूल्याँकन के लिए आभार। धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 22, 2016 at 8:40pm
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , रचना पर आपकी उपस्थिति एवं मूलयांकन के लिए आभार। , धन्यवाद , सादर।
Comment by TEJ VEER SINGH on January 21, 2016 at 2:48pm

हार्दिक बधाई आदरणीय  डॉ विजय शंकर जी!बेहद दार्शनिक प्रस्तुति!

Comment by Samar kabeer on January 21, 2016 at 2:44pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,बहुत ख़ूब शानदार,बधाई इस रचना पर आपको |

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