For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चिन्तन-प्रश्न

आस्था की अनवस्थ रग को सहलाते

सचाई के अब भयावने-हुए मुख पर

उलझनों के ताल के उस पार उतर कर

अचानक यह कैसा उठा प्रश्नों का चक्रवात

चिंता की हवाओं का मंडराता विस्तार

एकाएक

यह क्या हुआ ?

कैसा खतरनाक है यह

सतही ज़िन्दगी का सतही स्तर

बाहरी चीख-चिल्लाहट 

सुनाई नहीं देता है आत्मा का स्वर

ऐसे में असहज है कितना

द्वंद्व-स्थिति में संकल्प-शक्ति से

किसी भी सत्य को अनुभूत करना

धोखों से भरे मस्तक-कुण्ड में

निस्वार्थ, बिलकुल निस्वार्थ

सचेत रह कर

किसी दरिद्र की शून्य-आँखों में देख

स्वयं भूखे रह कर 

उसकी घनीभूत भूख को महसूस करना

माया के मोहजाल के झुठलावे के शिखर पर

अविवेक के अस्वीकृत शिकंजे में

पल-पल मुखमंडल पर स्थापित

न छिप सकती रेखाओं को नकारते

जो कोई पूछे कि "कैसे हो"

तो क्या सहज नहीं कह देते हैं हम

एक छोटा-सा लगता-सा पर बड़ा है जो

असुविचारित झूठ ...

"ठीक हूँ मैं"

ज़माने में ज़माने के हो जाने के

असफ़ल प्रयास में ऐसे

मामूली सचाइयों की उत्पीड़क तंग सीढ़ियों से

उतरते-लड़खड़ाते-गिरते

समय-असमय हम आदतन चुपचाप

ईमान की गरदन नहीं मरोड़ देते क्या ?

                    -------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 400

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on November 4, 2019 at 5:19pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, प्रिय मित्र सुरेन्द्र नाथ सिंह जी

Comment by vijay nikore on November 4, 2019 at 5:18pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, प्रिय भाई समर कबीर जी

Comment by नाथ सोनांचली on November 1, 2019 at 1:26pm

आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by Samar kabeer on October 28, 2019 at 3:58pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,बहुत उम्दा प्रभावशाली रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
7 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
13 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service