2×15
चंद मुकम्मल ग़ज़लों से हम दुनिया को बहला देंगे,
और अधूरे मिसरे तेरी यादों का पहरा देंगे.
जो कुछ तेरी इच्छा है वो ही तुझको दिखला देंगे,
हम खुद को धोखे में रखकर प्यार का मोल चुका देंगे.
ऐसे वो अपने चेहरे के सारे दाग छुपा देंगे,
कंप्यूटर से बनी हुई उम्दा तस्वीर दिखा देंगे.
जब तक तेरी आंखों से बरसेगी करुणा की धारा,
तब तक ये दुनिया वाले मेरे अहसास जला देंगे.
कीमत जिन फूलों की दाता के दर पर भी नहीं लगी,
कीमत उन फूलों की यें दुनिया वाले ही क्या देंगे.
जैसे तुमने ठुकराया है मेरे दिल की ख्वाहिश को,
हम भी तेरी दुनिया इक दिन ऐसे ही ठुकरा देंगे.
अपनेपन का स्वांग रचा कर दिल को दुख देने वाले,
हर दिन मेरे साथ रहेंगे ,हर दिन मुझे दगा देंगे.
सबके अपने अलग देवता,सबका अपना अलग अतीत,
इक तस्वीर लगाएंगे तो इक तस्वीर हटा देंगे.
मेरा हाल न पूछेंगे, न खबर कोई देंगे अपनी,
यार कभी मिल बैठेंगे तो मुझ पर दोष लगा देंगे.
सपनों के सौदागर बैठे हैं ऊंचे सिंहासन पर,
मैं भी कब से पूछ रहा हूं इन ग़ज़लों का क्या देंगे.
मैंने शब्दों के कानों में खुद को बता दिया इतना,
मेरे बाद यें मेरे दिल का हर अहसास बता देंगे.
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
बहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब
आपकी बहुमूल्य इस्लाह के बिना ग़ज़ल अधूरी रह जाती है
आशीर्वाद बनाये रखिये
सादर
हार्दिक आभार आदरणीय ब्रज जी
सादर
जनाब मनोज अहसास जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।
'जैसे तुमने ठुकराया है मेरे दिल की ख्वाहिश को,
हम भी तेरी दुनिया इक दिन ऐसे ही ठुकरा देंगे'
इस शैर में शुतरगुरबा दोष है,देखियेगा ।
'सपनों के सौदागर बैठे हैं ऊंचे सिंहासन पर'
ये मिसरा लय में नहीं है,देखियेगा ।
वाह क्या बात आदरणीय मनोज जी बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल कही है
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