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फिर लौट कर ना आनी है

बुलबुले सी होती जिंदगी

मिट्टी में मिल जानी है

जो भी करना आज ही कर ले

फिर लौट कर ना आनी है||

 

पंख लगा के अरमानों के

नभ में उड़ान तो भर

निर्भय होके बढ़ता चल

जो भी करना आज ही कर ले

कल की किसने जानी है||

 

कहीं किसी ने, बात बड़ी

इंतज़ार में तेरे, मौत खड़ी

इच्छा अपनी पूरी कर ले

ये, वक्त देने वाली है

बुलबुले सी होती जिंदगी

मिट्टी में मिल जानी है ||

 

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 21, 2018 at 3:14pm

आ. भाई फूलसिंह जी, अच्छी रचना हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by PHOOL SINGH on December 17, 2018 at 2:47pm

"सादर आभार, आदरणीय कबीर साहब"

Comment by Samar kabeer on December 17, 2018 at 11:13am

जनाब फूल सिंह जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति,बधाई स्वीकार करें ।

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