For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"बहुत दिनों से है बाक़ी ये काम करता चलूँ"

ग़ज़ल

बहुत दिनों से है बाक़ी ये काम करता चलूँ

मैं नफ़रतों का ही क़िस्सा तमाम करता चलूँ

अब आख़िरत का भी कुछ इन्तिज़ाम करता चलूँ

दिल-ओ-ज़मीर को अपने मैं राम करता चलूँ

जहाँ जहाँ से भी गुज़रूँ ये दिल कहे मेरा

तेरा ही ज़िक्र फ़क़त सुब्ह-ओ-शाम करता चलूँ

अमीर हो कि वो मुफ़लिस,बड़ा हो या छोटा

मिले जो राह में उसको सलाम करता चलूँ

गुज़रता है जो परेशान मुझको करता है

तेरे ख़याल से कैसे कलाम करता चलूँ

"समर"हयात का मक़सद बना लिया है यही

चलन वफ़ा का ज़माने में आम करता चलूँ

"समर कबीर"

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1719

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on September 27, 2018 at 5:33pm

जनाब आलोक रावत साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए शुक्रगुज़ार हूँ आपका ।

Comment by Alok Rawat on September 27, 2018 at 4:49pm

आदरणीय समर कबीर साहब, जनाब शादाब लाहौरी की ज़मीन में बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने

गुज़रता है जो परेशान मुझको करता है

तेरे ख़याल से कैसे कलाम करता चलूँ

बहुत ही बेहतरीन है।
आपको बहुत बहुत मुबारक़बाद

Comment by Samar kabeer on September 27, 2018 at 12:11am

जनाब डॉ.छोटेलाल सिंह जी आदाब,सुख़न नवाज़ी और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on September 26, 2018 at 8:26pm

परमादरणीय समर साहब आपकी काबिलियत को नमन आपकी कारयित्री और भावयित्री प्रतिभा अनूठी है हम आपको पढ़कर गौरवान्वित होते हैं आप जैसे लोग साहित्य जगत में कम हैं

Comment by Samar kabeer on September 17, 2018 at 11:00pm

जनाब निलेश 'नूर' साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

एक ग़ज़ल 14 सितम्बर को पोस्ट की है, समय मिले तो उसे भी देख लें ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 17, 2018 at 7:28pm

वाह वाह वा. आ. समर सर.. भरपूर तज़मीन ग़ज़ल हुई है ..
शेर दर शेर दाद हाज़िर है..
बहुत बहुत बधाई 

Comment by Samar kabeer on September 14, 2018 at 10:36pm

जनाब बलराम धाकड़ जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

कृपया मंच पर अपनी सक्रियता बनाये रखें ।

Comment by Balram Dhakar on September 14, 2018 at 9:06pm

आली मोहतरम जनाब समर कबीर साहब, हमेशा की ही तरह बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है। दिली मुबारक़बाद क़ुबूल फ़रमाएं।

सादर।

Comment by Samar kabeer on September 6, 2018 at 4:01pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on September 6, 2018 at 4:00pm

मुहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service