For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"बहुत दिनों से है बाक़ी ये काम करता चलूँ"

ग़ज़ल

बहुत दिनों से है बाक़ी ये काम करता चलूँ

मैं नफ़रतों का ही क़िस्सा तमाम करता चलूँ

अब आख़िरत का भी कुछ इन्तिज़ाम करता चलूँ

दिल-ओ-ज़मीर को अपने मैं राम करता चलूँ

जहाँ जहाँ से भी गुज़रूँ ये दिल कहे मेरा

तेरा ही ज़िक्र फ़क़त सुब्ह-ओ-शाम करता चलूँ

अमीर हो कि वो मुफ़लिस,बड़ा हो या छोटा

मिले जो राह में उसको सलाम करता चलूँ

गुज़रता है जो परेशान मुझको करता है

तेरे ख़याल से कैसे कलाम करता चलूँ

"समर"हयात का मक़सद बना लिया है यही

चलन वफ़ा का ज़माने में आम करता चलूँ

"समर कबीर"

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on June 4, 2020 at 2:25pm

//"राम करता चलूँ" यह मैं समज नहीं पाया इस लिए आपसे पूछ रहा हूँ//

'राम करना' उर्दू का मुहावरा है,इसका अर्थ है:-क़ाबू में लाना,राज़ी करना ।

Comment by Samar kabeer on February 4, 2019 at 4:11pm

जनाब ख़ुर्शीद अनवर साहिब,वालेकुमससलाम, ग़ज़ल की सराहना के लिए धन्यवाद ।

Comment by khurshid Anwar on February 4, 2019 at 3:10pm

जनाब  समर कबीर  सा . अस्सलाम अलय कुम .बहुत  अच्छी  ग़ज़ल डली है 

Comment by Samar kabeer on December 30, 2018 at 2:00pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on December 30, 2018 at 12:59pm

अमीर हो कि वो मुफ़लिस,बड़ा हो या छोटा

मिले जो राह में उसको सलाम करता चलूँ --- क्या बात है /क्या नज़रिया है जनाब सही कहा सलाम के लिए क्या अमीर क्या ग़रीब देखना बहुत खूब कलाम के लिए ढेरों दाद  क़ुबूल फरमाएं | 

Comment by Samar kabeer on December 25, 2018 at 12:00pm

जनाब सुरख़ाब बशर साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Surkhab Bashar on December 25, 2018 at 11:56am

जनाब समर कबीर साहब  बहुत उम्दा ग़ज़ल  है 

रह शेर  पे सौ सौ दाद 

मुबारक बाद कु़बूल  करें

Comment by Samar kabeer on December 15, 2018 at 9:55am

क्षमा की कोई बात नहीं भाई, बस ये है कि हमें अपने मंच की परिपाटी का ध्यान हर समय होना चाहिए,आपका पुनः धन्यवाद ।

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on December 15, 2018 at 8:35am

जनाब समर साहब। आप बड़े भाई व मार्गदर्शक हैं। यदि कोई भूल हुई है तो क्षमा चाहता हूं।आगे से ध्यान रहेगा कि ऐसा न हो। 

मैं समझता हूं कि दो-तीन शब्दों की टिप्पणी करना अच्छा नहीं होता। किंतु कईं बार शब्द नहीं मिलते किसी चीज़ का वर्णन करने के लिए। बस मन मे एक भाव आया और वही लिख दिया। यह टिप्पणी नहीं एक मनोस्थिति थी।

Comment by Samar kabeer on December 13, 2018 at 12:25pm

//  अहहहा//

भाई अजय जी आदाब,इतनी मुख़्तसर टिप्पणी?ये तो ओबीओ की परिपाटी नहीं है,बहरहाल आपका शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
9 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
18 hours ago
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service