For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'करुणा-सन्निधि' (लघुकथा)

आधुनिक भारत के आधुनिक शहर की आधुनिक सड़कों पर एक बार फिर भावुक और अहसानमंद भीड़ एकत्रित थी। आम आदमी तो भीड़ में थे ही, नेता-अभिनेता और मीडिया भी था। कुछ करुणाद्र थे, कुछ कृतज्ञ और कुछ समर्थक या पूजक और कुछ अवसरवादी ढोंगी समर्थक भी थे! दृश्य बेहद करुणामय था। कुछ तो रोये ही जा रहे थे अपने प्रिय व्यक्तित्व या आका के स्वास्थ्य और जीवन संबंधित शुभकामनाओं और प्रार्थनाओं के साथ। जबकि कुछ ऐच्छिक समाचार सुनने की प्रतीक्षा में थे।


"समर्थकों, उपासकों, अहसानमंदों और अवसरवादियों की मिली-जुली ऐसी भीड़ नेताओं, अभिनेताओं या अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बाबाओं के लिये ही इकट्ठी होती हमने देखी है , है न?" भीड़ की वीडियोग्राफी करते एक नवयुवक ने अपने साथी से कहा।


"दरअसल यह वैसे ही लोगों की असली 'निधि' है! कुछ के लिये 'करुणा' की अभिव्यक्ति जायज़ या सामयिक है, तो कुछ के लिये विवशता, दबाव या अवसरवादिता! हम सबका 'भीड़तंत्र' के मनोविज्ञान से सरोकार है, बस!"


"करुणा की सन्निधि; क्षणिक या पारंपरिक, बस, है न!" साथी के जवाब में विडियोग्राफ़र ने अपना कैमरा सड़क पर गिरती-पड़ती महिलाओं पर फोकस करते हुए कहा।


".. 'सन्निधि' कह लो या 'सन्निपात' जैसी राजनीतिक बीमारी; हमारे मुल्क में जो आम बात है!" साथी ने राजनेताओं पर तंज कसते हुए कहा।


"यह करुणा महिला और बाल शोषण के ख़िलाफ़ यूं सड़क पर सामूहिक व्यक्त नहीं की जाती; केवल अहसानात जताने और परिस्थितियों को भुनाने के लिए की जाती है, जनाब!" पीछे से एक प्रौढ़ व्यक्ति ने टिप्पणी की।


"अपने देश में ऐसी ढोंगी परम्परायें हमने ही बनाई हैं और दृढ़-संकल्प से हम ही उन्हें तोड़ सकते हैं या समाप्त करवा सकते हैं!" उन दोनों साथियों में से एक ने कहा - "यह मत भूलो कि आम चुनाव भी तो नज़दीक हैं!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 18, 2018 at 10:47am

मेरी इस ब्लॉग प्रविष्टि पर समय देकर हौसला अफ़ज़ाई हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीया बबीता गुप्ता  साहिबा।

Comment by babitagupta on August 15, 2018 at 4:44pm

अंतिम वाक्य बिलकुल सटीक  लगा ,राजनीति में बहुत कुछ भुनाना पड़ता हैं,बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 9, 2018 at 5:47pm

टिप्पणियों द्वारा अनुमोदन और विचार साझा करने हेतु और पुनः स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब , मुहतरमा नीलम उपाध्याय साहिबा ,  मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब और मुुुहतरमा नीता कसार साहिबा।

Comment by Neelam Upadhyaya on August 9, 2018 at 4:21pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी,  बहुत ही अच्छी रचना की प्रस्तुति के लिए  बधाई स्वीकार करें। 

Comment by Samar kabeer on August 9, 2018 at 3:58pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Nita Kasar on August 8, 2018 at 7:49pm

आम चुनाव भी नज़दीक है,और अपनी अपनी राजनैतिक गोटियां भी फ़िट करनी है।बधाई कथा के लिये आद० शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी ।

Comment by Mohammed Arif on August 8, 2018 at 12:58pm

आदरणीय तस्दीक अहमद जी आदाब,

                                आज चाहे नेता हो या अभिनेता जनता सभी के प्रति छद्म करूणा का प्रददर्शन कर रही है । बहुत ही सामयिक कथा । संवाद बहुत सशक्त । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service