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वो रंजिश में ताने दिए जा रहे हैं

122 122 122 122

******************

वो रंजिश में ताने दिए जा रहे हैं,
हैं अपने मगर मुझको तड़पा रहे हैं ।

.
सिफर हो चला हूँ मैं ख़्वाबों से खुद ही,
तभी गम के बादल बहुत छा रहे हैं ।

.

बसी दिल में उनकी वो तस्वीर ऐसी,
कि बनकर वो साये चले आ रहे हैं ।

.

सुना है कि मिलती दुआओं से मंज़िल,
नमाज़-ए-महब्बत पढ़े जा रहें हैं ।

.

मैं रोया हूँ इतना छुपा कर वो आँहें,
पुराने थे रिश्ते जो इतरा रहे हैं ।

*******

मौलिक व अप्रकाशित

-------हर्ष महाजन

Views: 700

Comment

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Comment by Harash Mahajan on April 18, 2018 at 5:14pm

आदरणीय मुझे हर्ष महाजन कहते हैं । आपकी टिप्पणी शायद आ० बसंत जी के लिए है  :)

आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी बारीकी से कृति पढ़ने  और हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया ।

जी हां मिश्रा जी और भी बहुत से गीत हैं जिनपर ये गाया जा सकता है ।

सादर ।

Comment by Harash Mahajan on April 18, 2018 at 5:06pm

हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आदरनीय लक्ष्मण धामी साहब ।

Comment by Harash Mahajan on April 18, 2018 at 5:05pm

हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आदरनीय जनाब नवीन मनी जी ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 18, 2018 at 3:16pm

कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे ..के तर्ज पर इसे गुनगुनाने में बड़ा आनंद आया इस रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 18, 2018 at 1:46pm

बहुत सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 17, 2018 at 9:36pm
वाह बेहतरीन ग़ज़ल हुई सर । हार्दिक बधाई ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on April 17, 2018 at 9:35pm
वाह बेहतरीन ग़ज़ल हुई सर । हार्दिक बधाई ।
Comment by Harash Mahajan on April 15, 2018 at 9:59am

आदरणीय समर जी आदाब ।

शुक्रिया ।

सादर ।

Comment by Samar kabeer on April 14, 2018 at 10:19pm

ठीक है ।

Comment by Harash Mahajan on April 14, 2018 at 9:40pm

आदरणीय बसंत जी आपकी आमद और पसंदगी के लिए तहे दिल से शुक्रिया ।

सादर ।

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