(मफाईलुन-मफाईलुन-फऊलन )
जो अज़मे तर्के उल्फ़त कर रहा है|
ये दिल फिर उसकी हसरत कर रहा है |
लगाए ज़ख़्म देने वाला मरहम
ये दिल यूँ ही न हैरत कर रहा है |
वफ़ा मिलती कहाँ है हुस्न में वो
जिसे पाने की जुरअत कर रहा है |
दिले नादां दगा जिसकी है फ़ितरत
उसी से तू महब्बत कर रहा है |
मरीज़े इश्क़ की लौटी हैं साँसें
कोई शायद अयादत कर रहा है |
मिलेंगे हश्र में यह बोल कर वो
मुझे कूचे से रुख्सत कर रहा है |
कोई तस्दीक़ उम्मीदे वफ़ा में
दगाबाज़ों की मिन्नत कर रहा है |
जुरअत--हिम्मत , अयादत --बीमार को देखना
मिन्नत --खुशामद
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
जनाब सलीम रज़ा साहिब , ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
वाह वाह जनाब तस्दीक अहमद साहिब,
क्या उम्दा गज़ल हुई है.. मुबारक़बाद क़ुबूल करें
दिले नादां दगा जिसकी है फ़ितरत
उसी से तू महब्बत कर रहा है |
मरीज़े इश्क़ की लौटी हैं साँसें
कोई शायद अयादत कर रहा है |
मिलेंगे हश्र में यह बोल कर वो
मुझे कूचे से रुख्सत कर रहा है |
कोई तस्दीक़ उम्मीदे वफ़ा में
दगाबाज़ों की मिन्नत कर रहा है |
.. वह जिंदाबाद
जनाब रोहित साहिब, ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
मिलेंगे हश्र में यह बोल कर वो
मुझे कूचे से रुख्सत कर रहा है .....वाह्ह्ह्ह बहुत खूब मुबारकबाद कुबूल फ़रमायेhttp://malhars.in
आद0 तस्दीक अहमद जी सादर अभिवादन। बहुत उम्दा ग़ज़ल कही आपने। इस शैर पर अतिरिक्त तालियां।
मरीज़े इश्क़ की लौटी हैं साँसें
कोई शायद अयादत कर रहा है |
हरेक शेर दमदार। शैर दर शैर मुबारकवाद कुबूल करें।
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
जनाब श्याम नारायण साहिब ,आपकी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
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