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समय का चक्कर (कटाक्षिकाएँ)

(1) समय के
मोबाइल फोन पर
सिकुड़ती हुई
संवेदना के वायब्रेशन है ।
(2) समय के
जल की शिराओं में
भविष्य का दौड़ता
जल संकट है ।
(3) समय के
दाम्पत्य पर
अलगाव की
लकीरें है ।
(4) समय की कॉकटेल में
महानगर के
बीयर-बार में
नियॉन रोशनी में
तनाव मुक्ति की
शराब उडेली
जा रही है ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment

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Comment by Mohammed Arif on October 14, 2017 at 7:49am
आदरणीय विजय शंकर जी आदाब,आपकी उत्साहजनक , समीक्षात्मक और निरपेक्ष भाव की टिप्पणी पाकर अभिभूत हो गया । आपकी टिप्पणी से पश्चिम के देश में मोबाइल के प्रयोग के बारे में जानकर अच्छा लगा । हमें मोबाइल -आचरण पर ध्यान देना होगा । हार्दिक-हार्दिक आभार ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 13, 2017 at 5:25am
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति। जब जीवन के ऊपर मशीनें इस कदर हावी हो जाएँ तो जीएवं का यंत्रवत होना रोक पाना बहुत कठिन है। एक मोबाईल ने ही हमारी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा हमसे छीन लिया है और उसे हम आगे बढ़ना मानते है। वैसे कुछ लोगों के मोबाइल बजाते ही नहीं या बहुत काम बजते हैं , वो तो किसी से पीछे नहीं दिखते। विदेशों में मैं जहां जहां भी गया , देखता हूँ की ड्यूटी पर तो शायद ही किसी का मोबाईल बजता हो। घूमते फिरते , बाजार में भी बहुत कम लोग इसे कान लगाए दिखते हैं। हमारे यहां तो कार ड्राइव करते समय आप अपने बाल ठीक कर रहे हों और पुलिस वाला देख ले तो गाड़ी रोक लेगा , मोबाइल पर बात बात कर रहे
थे। तारीफ़ देखिये कि औद्योगीकरण में हम चाहे जितना पीछे हों पर किसी नव उपकरण के हम सबसे उपभोक्ता बन जाते हैं , प्रगति / आमदनी से बड़े खर्चे।
आपको मोहम्मद आरिफ जी , आपको बहुत बहुत बधाई , सादर।
Comment by Mohammed Arif on October 12, 2017 at 9:26pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय वासुदेव अग्रवाल जी । आपकी उत्साहजनक प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हो गया ।
Comment by Mohammed Arif on October 12, 2017 at 9:24pm
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी । लेखन सार्थक हो गया ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 12, 2017 at 6:30pm
अद्भुत प्रतीकात्मक विचारोत्तेजक सम्प्रेषण। तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 12, 2017 at 6:28pm
वाहहहह मोहम्मद आरिफ जी जीवन के कटु सत्य को उजागर करती क्षणिकाएँ। हार्दिक बधाई।
Comment by Mohammed Arif on October 12, 2017 at 8:38am
अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से पोषित करने का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय राज़ नवादवी जी ।
Comment by राज़ नवादवी on October 11, 2017 at 10:43pm

सुंदर क्षणिकाएं | बधाई हो आदरणीय  मोहम्मद आरिफ़ साहब 

Comment by Mohammed Arif on October 11, 2017 at 10:36pm
बहुत-बहुत शुक्रिया सलीम रज़ा साहब ।
Comment by Mohammed Arif on October 11, 2017 at 10:34pm
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया कल्पना भट्ट जी । लेखन सार्थक हो गया ।

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