For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब तू मिरा है .....,संतोष

जब तू मिरा है तो अपना लगता क्यूँ नहीं
दिल के आइने में साफ़ दिखता क्यूँ नहीं

अब नज़रें मिलती ही नहीं तिरी नज़रों से,
हसीन ख़्वाबों से फिर निकलता क्यूँ नहीं

दुनियाँ मुझे अब क्यूँ थमी सी लगती है
तू भी मौसम सा कुछ बदलता क्यूँ नहीं

ज़बां चुप और धड़कन भी तेज़ है ज़रा
तू नज़रों के इशारे समझता क्यूँ नहीं

ये जिस्म सर्द है बर्फ़ के मानिन्द'संतोष'
तू रगों में गर्म लहू सा दौड़ता क्यूँ नहीं

#संतोष खिरवड़कर
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 519

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on September 7, 2017 at 6:45pm

अह्ह्ह्हह .क्या खूब.... चरण स्पर्श के साथ आभार आदरणीय समर साहब!!!
निः शब्द , ह्रदय से धन्यवाद ! मेरे मात्र साधारण शब्दों की पँक्तियों को सुन्दर 'ग़ज़ल" का रूप देने के लिए आप का आभार ! शब्दों का ये सृजन अकल्पनीय है!
आपकी कलम को मेरा नमन /सलाम समर्पित !!!

Comment by Samar kabeer on September 7, 2017 at 3:22pm
है शिकायत दिल को ऐसा क्यूँ नहीं
जब तू मेरा है तो लगता क्यूँ नहीं

जब नज़र से मिल नहीं पाती नज़र
ख़्वाब से बाहर निकलता क्यूँ नहीं

लग रही है क्यूँ थमी दुनिया मुझे
तू भी मौसम सा बदलता क्यूँ नहीं

है ज़बाँ चुप और धड़कन तेज़ है
तू इशारों को समझता क्यूँ नहीं

जिस्म ठण्डा पड़ गया'संतोष' का
आग अपनी उसको देता क्यूँ नहीं
----/
ये आपकी ग़ज़ल इस्लाह कर दी है,क़ाफ़िया अलिफ़ का,रदीफ़ 'क्यूँ नहीं,अरकान फ़ाइलातून फ़ाइलातून फ़ाइलुन,
Comment by santosh khirwadkar on September 7, 2017 at 7:44am
सलाम/प्रणाम आदरणीय आरिफ़ साहब !!हृदय से धन्यवाद !
Comment by Mohammed Arif on September 7, 2017 at 7:41am
आदरणीय संतोष खिरवड़कर जी आदाब, बेहतरीन प्रयास । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।ड क़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
Comment by santosh khirwadkar on September 6, 2017 at 7:43pm

चरण स्पर्श आदरणीय समर साहब , धन्यवाद !!
बेसब्री से इंतज़ार .........

Comment by Samar kabeer on September 6, 2017 at 5:47pm
जनाब संतोष जी आदाब,प्रयास अच्छा है,पुनः वापस आता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
16 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
17 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
22 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service