For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रकाश को काटते नभोचुम्बी पहाड़

अब हुआ अब हुआ अँधेरा-आसमान ...

अनउगा दिन हो यहाँ, या हो अनहुई रात

किसी भी समय स्नेह की आत्मा की दरगाह

दीवारों के सुराख़ों में से बुलाती है मुझको

और मैं आदतन चला आता हूँ तत्पर यहाँ

पर आते ही आमने-सामने सुनता हूँ आवाज़ें

इस नए निज-सर्जित अकल्पनीय एकान्त में

अनबूझी नई वास्तविकताओं के फ़लसफ़ों में

और ऐसे में अपना ही सामना नहीं कर पाता

झट किसी दु:स्वप्न से जागी, भागती, हाँफती

लौट आती है भीषण वेदना पूछने दु:खांत प्रश्न

प्रकाश को काटते  गूंगे अवाक खड़े  पहाड़ से

भीतर फिर से फैल रहे  तनाव के आसमान से 

प्रलय...

चुप है नभोचुम्बी पहाड़

चुप है गंभीर अँधेरा-आसमान

           ----------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 918

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on August 24, 2017 at 5:09pm

//आपकी कल्पना की उड़ान नये जौहर लेकर कविता के रूप में आ जाती है,और मुझे मुग्ध कर देती है//

आपके कहे यह शब्द मेरे लिए विशेष मान्य रखते हैं और प्रेरणा देते  हैं, हार्दिक आभार आदरणीय भाई समर जी। 

टंकण-त्रुटि बताने के लिए भी आभार। संशोधन कर रहा हूँ। 

Comment by vijay nikore on August 24, 2017 at 5:03pm

//हमेशा की तरह एक गहन अभिव्यक्ति समेटे अप्रतिम प्रस्तुति//

आपसे मिली इस उदार सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय सुशील जी

Comment by vijay nikore on August 24, 2017 at 5:02pm

//उम्दा सृजन, भाव पक्ष बेहद मजबूत//

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुरेन्द्र जी 

Comment by vijay nikore on August 24, 2017 at 5:00pm

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय लक्ष्मण जी ।

Comment by vijay nikore on August 24, 2017 at 4:58pm

//क्या सुंदर अभिव्यक्ति है ।बहुत ही सुंदर चित्रण //

आपसे मिली सराहना से मुझको और प्रेरणा मिली है। हार्दिक आभार, आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ भाई।

Comment by vijay nikore on August 24, 2017 at 4:55pm

//रचना शैली का एक और उत्तम उदाहरण है//

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मोहित जी ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 24, 2017 at 9:13am

आदरनीय बड़े भाई , हमेशा की तरह खूब सूरत भाव पूर्ण कविता की रचना की है आपने । हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2017 at 5:49pm
मुहतरम जनाब विजय निकोरे साहिब ,बहुत ही सुन्दर रचना हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
Comment by Samar kabeer on August 21, 2017 at 11:35pm
जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,आपकी कल्पना की उड़ान नये जौहर लेकर कविता के रूप में आ जाती है,और मुझे मुग्ध कर देती है,

किसी भी समय स्नेह की आत्मा की दरगाह
दीवारों के सुराख़ों में से बुलाती है मुझको
और मैं आदतन चला आता हूँ तत्पर यहाँ
'दरगाह'शब्द ने इस कविता को जिस ऊंचाई तक पहुंचा दिया है,उसकी तारीफ़ शब्दों में करना मुमकिन नहीं,इसे सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है,बहुत ख़ूब वाह इस लाजवाब कविता के लिये दिल की गहराइयों से दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
एक शंका है, तीसरी पंक्ति में 'अनुउगा' या "अनउगा" ?
Comment by Sushil Sarna on August 21, 2017 at 4:29pm

आदरणीय विजय निकोर साहिब , आदाब   ... हमेशा की तरह एक गहन अभिव्यक्ति समेटे अप्रतिम प्रस्तुति को  आपने अपने पाठकों को नवाज़ा है।  इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई स्वीकार करें सर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
11 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service