For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सियासत मुल्क़ की यारों लहू पीने की आदी है
निवाला छीन भूखों का पहनती आज खादी है
किसे अच्छा कहूँ मैं अब सभी का हाल इक जैसा
बना है रहनुमा वो आज जो खुद ही फ़सादी है |1|

अगरचे दिल सियासत से बहुत नाशाद है अपना
नहीं लगता दयार-ए-हिन्द ये आबाद है अपना
उठेगी गर वतन में अब किसी निर्दोष की मय्यत
कहेगा कौन किस मुंह से वतन आज़ाद है अपना |2|

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on August 22, 2017 at 4:34pm
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम, प्रोत्साहन के लिए आभार
Comment by Samar kabeer on August 21, 2017 at 6:31pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छे मुक्तक लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।
पहले मुक्तक की पहली पंक्ति में 'लहूँ'को "लहू" कर लें ।
Comment by नाथ सोनांचली on August 21, 2017 at 12:59pm
आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन, प्रोत्साहन के लिए आभार
Comment by vijay nikore on August 21, 2017 at 9:47am

अच्छे मुक्तक के लिए बधाई, सुरेन्द्र जी

Comment by नाथ सोनांचली on August 21, 2017 at 5:19am
आद0 लक्ष्मण धामी जी आपको मुक्तक अच्छे लगे, लिखना सार्थक हुआ। आभार आपका।
Comment by नाथ सोनांचली on August 21, 2017 at 5:17am
आद0 मोहित मिश्रा जी मुक्तक पसंद आये, लेखन सार्थक हुआ, आभार
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2017 at 9:12pm
आ. भाई सुरेन्द्र जी सुंदर मुक्तक हुए हैं हर्दिक बधाई ।
Comment by नाथ सोनांचली on August 20, 2017 at 3:27pm
आद0 भाई मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन, आपकी प्रतिक्रिया पाकर आश्वस्त हुआ, लेखन सार्थक लगने लगा। आभार आपका
Comment by Mohammed Arif on August 20, 2017 at 10:20am
आदरणीय सुरेंद्र जी आदाब, सियासत के चरित्र को उजागर करते बेहतरीन मुक्तक । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service