For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल...हर कदम पर जह्न मेरा आजमाता कौन है-बृजेश कुमार 'ब्रज'

2122 2122 2122 212
वेदना के तार झंकृत,गीत गाता कौन है
दर्द की ये रागनी आखिर सुनाता कौन है

कौन है ये रात के आगोश में सिमटा हुआ
चाँदनी की ओट लेकर मुस्कुराता कौन है

बादलों के पार से आवाज थी किसकी सुनी
ओढ़कर घूँघट घटा का ये लजाता कौन है

गुँजतीं हैं आहटें खामोशियों को चीरती
हर कदम पर जह्न मेरा आजमाता कौन है

चल रही पुरवा बसन्ती मुस्कुरा कर झूमती
लेके थाली आरती की गुनगुनाता कौन है
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 850

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 14, 2017 at 3:42pm
आदरणीय शुक्ला जी आप लोग बड़े हैं..आपकी हर सलाह में कुछ न कुछ सीख ही होगी....सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 14, 2017 at 3:39pm
आदरणीय नीरज कुमार जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 14, 2017 at 3:39pm
आदरणीया सुनंदा जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार..सादर
Comment by Ravi Shukla on August 14, 2017 at 3:11pm

आदरणीय बृजेश जी हमारे कहे को मान देने के लिये आभार

Comment by Niraj Kumar on August 13, 2017 at 4:49pm

आदरणीय बृजेश जी, 

ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद.

सादर 

Comment by sunanda jha on August 13, 2017 at 2:34pm
वाहहहहह आदरणीय बृजेश जी ,बहुत प्यारी ग़ज़ल लिखी आपने ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 10, 2017 at 7:58pm
जरूर आदरणीय गिरिराज जी..स्नेह बनाये रखें..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 10, 2017 at 7:56pm
आदरणीय समर कबीर जी आखरी शेर के लिए आपका सुझाव बहुत ही खूबसूरत है। और आदरणीय रवि शुक्ला जी के सुझाव भी शिरोधार्य हैं।अभी सुधार करता हूँ।आपके स्नेह के लिए ह्र्दयतल से आभार व्यक्त करता हूँ..सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2017 at 7:01pm

आदरणीय बृजेश भाई , बहुत खूबसूरत गज़ल हुई है ,  बधाइयाँ स्वीकार करें । गुणि जन उचित सलाहें दे ही चुके हैं , गौर कीजियेगा ।

Comment by Samar kabeer on August 10, 2017 at 6:45pm
जनाब बृजेश कुमार'ब्रज'साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेड़ करता हूँ ।
चौथे शैर के ऊला मिसरे पर रवि जी का सुझाव अच्छा है ।

आख़री शैर के सानी मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है 'थाल लेकर',सानी मिसरा ऐसे कर लें तो ये ऐब निकल जायेगा :-
'लेके थाली आरती की गुनगुनाता कौन है'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service