For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - क्यों भला दंड वत हुआ जाये ( गिरिराज भंडारी )

2122   1212   22/112

अब यहाँ पर विगत हुआ जाये

या, जहाँ से विरत हुआ जाये

 

खूब दीवार बन जिये यारो

चन्द लम्हे तो छत हुआ जाये

 

कोई खोले तो बस खला पाये

प्याज़ की सी परत हुआ जाये

 

ताब रख कर भी सर उठाने की

क्यों भला दंड वत हुआ जाये

 

आग, पानी , हवा की ले फित्रत 

हैं जहाँ, जाँ सिफत हुआ जाये

 

खूबी ए  आइना बचाने को 

क्यूँ न पत्थर फ़कत हुआ जाये

******************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 1228

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 8, 2017 at 1:04pm
बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई आदरणीय

कोई खोले तो बस खला पाये
प्याज़ की सी परत हुआ जाये..बहुत ही शानदार
Comment by Ravi Shukla on August 8, 2017 at 8:07am

आदरणीय गिरिराज भाईजी अच्छी ग़ज़ल कही आपने मुबारक बाद पेश है । एक शंका हमें भी है छत स्त्रीलिंग है ऐसे में वाक्य देखे तो छत छुई जाए या छत को छुआ जाए होना चाहिए । अगर ये सही है तो मिसरा काम नहीं करेगा । बताइयेगा  ।सादर

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 7, 2017 at 8:28pm

बहुत बढ़िया ग़ज़ल नये प्रयोग, अच्छा लगा , ज्ञान भी प्राप्त हुआ.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 7, 2017 at 6:36pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का बेहद शुक्रिया । आदरनीय मै केवल उन चीज़ों को स्वीकार कर लेने के पक्ष मे हूँ , जिन शब्दों के दोनो रूप स्वीकार किये गये हैं । लेकिन मंच अगर एक नियम बना दे तो मेरी कोई ज़िद नही है , कुछ लोग उदाहरण दे दे कर किसी भी बात को सही कहें और मंच चुप रहे तो यही होगा न ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 7, 2017 at 6:32pm

आदरणीय आरिफ भाई , सराहना के ल्लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 7, 2017 at 6:32pm

आदरणीय सतविन्द्र भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 7, 2017 at 6:31pm

आदरणीय समर भाई , सही कहा आपने , अनुस्वार हटाना ज़रूरी है , मै आवश्यक सुधार कर लूंगा , आभार आपका।

Comment by नाथ सोनांचली on August 7, 2017 at 8:00am
आद0 समर साहब को भी नमन,इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए
Comment by नाथ सोनांचली on August 7, 2017 at 7:59am
आद0 गिरिराज भाई जी सादर अभिवादन, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, और इस। पर समर साहब की टिप्पणी का भी कायल हूँ मैं, हम सहित्यनुरागिओ को शब्द लेकर ही चलना चाहिए न् कि पूर्व में किसी के लिखे को नजीर मान् कर, ऐसा मेरा मानना है, । इस उम्दा ग़ज़ल पर मेरी बधाई कबूल करें। सादर
Comment by Mohammed Arif on August 6, 2017 at 11:12pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी आदाब, बहुत अच्छी ग़ज़ल ।हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आली जनाब मोहतरम जनाब समर कबीर साहब की बितों से पूरी तरह से सहमत हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service