For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - इक जलतरंग दिल में बजाकर चले गए

221 / 2121 / 1221 / 212

इक जलतरंग दिल में बजाकर चले गए
वो रंगे इश्क मुझपे चढ़ाकर चले गए

जैसे गुलाब की कली हो जाए संदली
ख़ुशबू फिज़ा में ऐसी मिलाकर चले गए

बादल उड़े फ़लक पे बने नक़्श वो हसीं
उस नाज़नीं की याद दिलाकर चले गए

मुस्कान दे गए मुझे बचपन के यार कुछ
मेरी उदासियों को चुराकर चले गए

जुगनू ही बनके रह गए सूरज कई यहाँ
कोरस में गीत कितने ही गाकर चले गए

क्यूं शम्स के उजाले ये नींदों के फूलों से
ख्वाबों की तितलियों को उड़ाकर चले गए

औकात जुगनुओं सी भी रखते नहीं हैं जो
सौ दाग चाँद में वो गिनाकर चले गए

उम्मीद जिनसे थी हमें भरपूर दाद की
दो चार तालियाँ वो बजाकर चले गए

थामेगा कौन हिंदी का परचम सवाल है
शंकर,निराला,पंत,दिवाकर चले गए

बादल बरस गए सभी भरपूर झील पर
खेतों को खाली हाथ दिखाकर चले गए

किरदार अपना जी रहे कुछ लोग जीस्त में
कुछ अपनी भूमिका को निभाकर चले गए
____________________________
गजेन्द्र श्रोत्रिय
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 944

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on September 2, 2017 at 2:23pm

गजेन्‍द्र जी  अच्‍छी गजल के लिए  मुबारकबाद,

Comment by Gajendra shrotriya on August 9, 2017 at 9:54pm
हार्दिक आभार आ० नीरज कुमार जी। आपका सुझाव बेहतर है। शुक्रिया।
Comment by Niraj Kumar on August 8, 2017 at 5:32pm

आदरणीय गजेन्द्र जी, बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद,

'कुछ अपनी भूमिका को निभाकर चले गए'  मेरे ख्याल से इस मिसरे में 'भूमिका को' कि जगह 'भूमिकायें' का प्रयोग बेहतर होगा. 

सादर 

Comment by Gajendra shrotriya on August 8, 2017 at 1:27pm
धन्यवाद आ० ब्रजेश कुमार जी।
Comment by Gajendra shrotriya on August 8, 2017 at 12:58pm
आपका हृदय से आभार आ० रवि शुक्ला साहब।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 8, 2017 at 12:56pm
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आदरणीय..सभी शेर कमाल हुए..

थामेगा कौन हिंदी का परचम सवाल है
शंकर,निराला,पंत,दिवाकर चले गए..बेहतरीन
Comment by Gajendra shrotriya on August 8, 2017 at 12:56pm
आ० बासुदेव अग्रवाल जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल की सराहना और अच्छे सुझाव के लिए आपका आभारी हूँ। यथोचित संशोधन कर दिया गया है। सादर।
Comment by Gajendra shrotriya on August 8, 2017 at 12:46pm
आपका आभारी हूँ आ० गुरप्रीतसिंह जी।
Comment by Gajendra shrotriya on August 8, 2017 at 12:44pm
हार्दिक आभार आ० सुरेन्द्रनाथ जी।
Comment by Gajendra shrotriya on August 8, 2017 at 12:40pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय मो० आरिफ साहब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service