For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल--शम अ रोशन करो मुहब्बत की

ग़ज़ल
-----
(फ़ाइलातुन -मफ़ाइलुंन -फेलुंन)

आँधियाँ चल रही हैं नफ़रत की।
शमअ रोशन करो मुहब्बत की।

जिसको तदबीर पर यक़ीन नहीं
बात करता है वह ही किस्मत की।

दुश्मने जान हो गए उमरा
में ने मुफ़लिस की जब हिमायत की।

रहबरी के लिए चुना जिसको
साथ उसने मेरे सियासत की।

होश में आ जा बागबाने चमन
हो गई इब्तदा बग़ावत की।

उनके जलवों से वह नहीं वाकिफ़
बात करते हैं जो कियामत की।

वक़्त तस्दीक़ इम्तहान का है
राह मत छोड़ना सदाक़त की।

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 774

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 20, 2017 at 9:04pm
मुहतरम गुरप्रीत सिंह साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया,---उमरा का मतलब है ,अमीर लोग, यह अमीर का बहुवचन है
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 20, 2017 at 1:25pm

आ. तस्दीक अहमद साहब,

अच्छी  ग़ज़ल हुई है ..
दो मिसरों में तनाफुर का    ऐब नुमायाँ है ..
.
जिसको तदबीर पर यक़ीन नहीं
जिन को तदबीर पर नहीं है यकीं ...
.
क़्त तस्दीक़ इम्तहान का है
वक़्त  है इम्तहान का स्दीक़
.
कियामत को क़ियामत कर लें ... सादर 

Comment by Sushil Sarna on May 20, 2017 at 12:45pm

आदरणीय तस्दीक साहिब इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 20, 2017 at 11:48am

आ. भाई तस्दीक अहमद जी , इस सुंदर गजल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by Gurpreet Singh jammu on May 20, 2017 at 11:12am
वाह वाह आदरणीय तस्दीक जी बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है आपने उमरा का अर्थ जानना चाहूंगा
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 20, 2017 at 10:45am
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Mohammed Arif on May 20, 2017 at 10:31am
आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब, हर शे'र उम्दा । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service