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ग़ज़ल----(कब वो मेरे दिल से निकला था)

ग़ज़ल
---------
(फअल-फऊलन-फेलुन-फेलुन )

सिर्फ़ वो महफ़िल से निकला था |
कब वो मेरे दिल से निकला था |

दिलबर के दीदार का मंज़र
चश्म से मुश्किल से निकला था |

रास्ता मेरी मंज़िल का भी
उनकी ही मंज़िल से निकला था |

जिसने बचाया बद नज़रों से
वो जादू तिल से निकला था |

हरफे निदा जो बना अदावत
ज़ह्ने मुक़ाबिल से निकला था |

आ ही गया वो फिर मक़्तल में
बच के जो क़ातिल से निकला था |

मेरी तरफ तस्दीक़ न देखो
साँप किसी बिल से निकला था |

(मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 18, 2017 at 7:46pm
मुहतरम जनाब लक्ष्मण धामी साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 18, 2017 at 7:45pm
मुहतरम जनाब विजय साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 18, 2017 at 11:18am

आ. तस्दीक अहमद जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है,मुबारकबाद I

Comment by vijay nikore on May 16, 2017 at 1:41pm

गज़ल बहुत अच्छी लगी। हार्दिक बधाई।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 15, 2017 at 9:57pm

जनाब सत्विन्द्र कुमार साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला
अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 15, 2017 at 6:06pm
वाह्ह्ह् हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद जी,उम्दा गजल कही आपने!
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 15, 2017 at 4:32pm
मुहतरम गिरिराज साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 15, 2017 at 10:47am

आदरणीय तस्दीक भाई  , अच्छी गाल कही है .. बधाइयाँ प्रेषित कर रहा हूँ .. स्वीकार करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 14, 2017 at 8:13pm
जनाब ब्रजेश कुमार साहिब, ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 14, 2017 at 8:12pm
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया,महरबानी

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