For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दमकते फिर रहे हैं झुग्गियों में (ग़ज़ल) - ज़हीर क़ुरेशी

1222-1222-122

 

वो ये भी कह रही है सिसकियों में,

बहुत जल बह चुका है नद्दियों में !

 

युवा फूलों पे मँडराने को लेकर,

मची है होड़ क्वाँरी तितलियों में.

 

धुँए को चीरकर घुसने लगी है,

चिता की आग गीली लकड़ियों में.

 

नदी के साथ मीठी मछलियाँ भी,

पहुँच जाती हैं खारी मछलियों में !

 

कई महलों में रहने योग्य हीरे,

दमकते फिर रहे हैं झुग्गियों में.

 

ये ‘एस.एम.एस.’ करने वाली पीढ़ी,

लिखे विस्तार से क्या चिट्ठियों में ?

 

बहुत-से लोग सूरज की चमक को,

छिपाना चाहते हैं बदलियों में !

 

ज़हीर क़ुरेशी

 

(मौलिक व अप्रकाशित) 

Views: 602

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on May 17, 2017 at 9:27am

बहुत बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय ज़हीर क़ुरेशी जी. हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 16, 2017 at 9:14pm

आदरणीय बृजेश भाई ,  मेरे ख्याल से नद्दियों उन  हिन्दी के शब्दों मे से एक है जिन्हे उर्दू दाँ अपनी सहुलियत के लिये स्वीकार कर लिये हैं ... असली और सही नदी ही है , वैसे अब आप भी नद्दी  कह सकते हैं , ज़रूरत पड़ने पर ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 15, 2017 at 8:42pm
आदरणीय जहीर भाई सूंदर प्रस्तुति के लिए हरदुक बधाई स्वीकार करें सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 15, 2017 at 6:02pm
आदरणीय जहीर जी हारदिक बधाई स्वीकारें इस ग़ज़ल के लिए!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 15, 2017 at 10:43am

आदरणीय ज़हीर भाई , खूबसूरत गज़ल कही है , बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 14, 2017 at 8:12pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय..सिर्फ उत्सुतावश पूँछ रहा हूँ क्या नद्दियों शब्द उचित है..हालाँकि ग्रामीण अंचलों में नद्दी शब्द प्रचलन में देखा है..विशेषकर यू पी के बुंदेलखंड इलाके में..
Comment by नाथ सोनांचली on May 14, 2017 at 12:02pm
आद0 ज़हीर क़ुरेशी साहब आदाब, बेहद उम्दा ग़ज़ल। शैर दर शैर दाद और मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा posted a blog post

जमा है धुंध का बादल

  चला क्या आज दुनिया में बताने को वही आया जमा है धुंध का बादल हटाने को वही आयाजरा सोचो कभी झगड़े भला…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
आशीष यादव posted a blog post

जाने तुमको क्या क्या कहता

तेरी बात अगर छिड़ जातीजाने तुमको क्या क्या कहतासूरज चंदा तारे उपवनझील समंदर दरिया कहताकहता तेरे…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post एक बूँद
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Jan 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service