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जनता कहती, कि सुने जनता (मदिरा सवैया) // -सौरभ

मदिरा सवैता  [भगण (२११) x ७ + गु]

 

पाँच विधानसभा फिर भंग हुई, नव रूप बुने जनता   

राज्य हुए फिर उद्यत आज नयी सरकार चुने जनता
शासन और प्रशासन हैं नतमस्तक, आज गुने जनता
तंत्र चुनाव विशिष्ट लगे.. जनता कहती, कि सुने जनता..
*********
-सौरभ

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Comment by Samar kabeer on February 14, 2017 at 6:05pm
जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब,उत्तर प्रदेश में चनाव का दौर है,आपने बहुत अच्छी समझाइश दी है इस छन्द के रूप में,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on February 14, 2017 at 5:35pm
आदरणीय सौरभ पांडे जी आदाब, सामयिक अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2017 at 5:21pm

बहुत सुन्दर ..इस सामयिक छंद के लिए दिल से बधाई आदरणीय सौरभ जी .

कृपया ध्यान दे...

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