For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फूलों को प्यार से सुनाती है प्रेम धुन

उन्हीं पर लुटाती अपना सर्वस्य जीवन

बदले में फूलों को देती है नया जीवन

निभाते हैं रिश्ता ये दोनों सारा जीवन ॥

जो फूल हमारे जीवन लाते हैं खुशियाँ

मिटा देते गम भर देते हैं सारी खुशियाँ

भौरें और तितलियाँ बजाती हैं तालियाँ

बदले में जीवन भर करते हैं रंगरेलियाँ ॥

हम इंसानों को नहीं है जरा भी शरम

हम इन फूलों के प्रति कितने बेरहम

फूल तो क्या !कलियों पर नहीं रहम

कहीं भगवान के नाम पर करते जुल्म ॥   

हम उन्हें खिलने से पहले लेते हैं तोड़

अपने परलोक के लालच में हाथ जोड़

तोड़ डाली से कहीं मंदिर में देते छोड़

पराग तो क्या,ज़िंदगी हम देते हैं मोड ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Ashery on February 24, 2017 at 4:14pm

श्री मान भण्डारी जी आपको हृदय से आभार आपका सुझाव मैं ध्यान में रखूँगा 

Comment by Ram Ashery on February 24, 2017 at 4:14pm

श्री मान भण्डारी जी आपको हृदय से आभार आपका सुझाव मैं ध्यान में रखूँगा 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 24, 2017 at 9:31pm

आदरणीय राम आश्रय भाई , अच्छी लगी आपकी रचना , हार्दिक बधाइयाँ ! मात्राओं और कलों का निर्वहन न हो पाने से पंक्तियाँ गद्य सी लगतीं है , मुझे लगता है इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिये , ता कि पद्य , पद्य जैसे लगे ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 23, 2017 at 8:57am
आदरणीय राम आश्रय जी सादर अभिवादन, अच्छी कविता सृजन के लिए बधाई
Comment by Mohammed Arif on January 22, 2017 at 10:55pm
जनाब राम आश्रयजी, अच्छी कविता । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Ram Ashery on January 22, 2017 at 7:27pm

श्री मान जी आपके इस प्रोत्साहन युक्त शब्दों  के लिए आपको मेरा हृदय से आभार 

Comment by Samar kabeer on January 22, 2017 at 1:48pm
जनाब राम आश्रय जी आदाब,अच्छी कविता है, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
16 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
16 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
19 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service