For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ताला भुइयां की बेटी आज घर वापस आ गयी है।विधायक लालू भुइयां अपने घर के छोटे-मोटे कामों के लिए उसे सात साल पहले दिल्ली ले गया था।उसके माँ-बाप को बोला था कि उधर रहेगी,सेवा-टहल करेगी।चार पैसे भी मिल जायेंगे।कुछ पढ़-लिख भी जायेगी।ताला ने पत्नी की तरफ देखा था।उसने मौन सहमति दी थी और दस साल की झुनिया दिल्ली चली गयी थी।हाँ,लालू भुइयां पैसे समय से भिजवाता रहा,पर धीरे-धीरे झुनिया की खबर का आना बंद ही हो गया था।पहले झुनिया के माँ-बाप की गाँव के पांडे बाबा के बेटे से लिखवायी चिट्ठी उसे मिला करती थी,वह उसे लालू के घरेलू नौकर काशी की बेटी से पढ़वाती।कुछ के जबाब भी उसने भिजवाये।बाद में चिट्ठियों का आना बंद हो गया।उसे लगा कि अचानक क्या हो गया।चिट्ठियाँ क्यूँ नहीं आ रहीं?उधर उसके माँ-बाप सोचते कि पहले तो चिट्ठियों का जबाब आ जाता था।अब क्यों नहीं आ रहा?
समय ने करवट बदली।अख़बार में आयी खबर के आधार पर पड़े पुलिस छापे में झुनिया दिल्ली से वापस अपने घर लायी गयी है।माँ-बेटी का रो-रोकर बुरा हाल है।गाँव-जवार में फुसफुसाहट है ।सब कह रहे हैं---कैसी छोटी-सी गयी थी तब?कच्ची कली थी।अब तो पूरा अपटुडेट होकर आयी है।कोई-कोई चुटकी भी ले रहा है।अरे क्यूँ नहीं भाई?नेताजी की सेवा में थी न बेचारी?रंग तो बरसना ही था।उधर झुनिया की माँ बेटी से कह रही थी,' भला ललवा अइसा करेगा,ई तो सोचबे न किये थे हमनी।कहीं कउवा कउवा का मांस खात ह भला?'
-अब कउवा सब कउवा के मांस खात बारन सब मइया,'झुनिया बोली।
-चल रे छौंरी, दरोगाजी बयान खातिर थाना में फिर से बोलाये हैं,' पैंट की बेल्ट सुधियाते हुए हकलू हवलदार बोला।
कोर्ट में आज झुनिया के दैहिक शोषण से संबंधित मामले की सुनवाई होनी है।
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 466

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on December 25, 2016 at 9:03pm
आभार आ.गोपाल नारायण जी।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 25, 2016 at 9:01pm

आ० मनन जी , आपकी प्रस्तुति अलग ढंग की है . बस मजा आ गया .

Comment by Manan Kumar singh on December 25, 2016 at 7:56pm
आपका आभार आदरणीय तेजवीर जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on December 25, 2016 at 6:11pm

हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बहुत शानदार प्रस्तुति ।

Comment by Manan Kumar singh on December 25, 2016 at 6:01pm
आदरणीय समर कबीर जी, नमस्ते!आपका बहुत बहुत शुक्रिया!
Comment by Samar kabeer on December 25, 2016 at 4:59pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Manan Kumar singh on December 25, 2016 at 12:36pm

आपका आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी, सादर।

Comment by Mahendra Kumar on December 25, 2016 at 12:20pm
आदरणीय मनन जी, इस बढ़िया यथार्थपरक लघुकथा के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
17 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service