For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काफिया: अल ;रदीफ़ :गया

बह्र : २२ २२ २२ २२ २२

नव यौवन चंचल चितवन फिसल गया

यौवन की धूप खिली मन पिघल गया |

तेरे नैनों ने  किया इशारा कुछ

निश्छल मृदु दिल तो मेरा मचल गया |

मखमल सी आवाज़ की तारीफ करूँ

कर्ण प्रवेश से पत्थर दिल पिघल गया |

हम कैसे कह दे के तू  बेवफ़ा है 

तेरा गफलत ही प्यार को कुचल गया |

आक्रोश भरा रूप कभी न दिखाओ

देख रौद्र रूप मेरा दिल दहल गया |

है मंदहास तेरा  मीठा मंजुल

हँसता चेहरा देखा, डर निकल गया | 

 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 13, 2016 at 8:02am

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सराहना के लिए हार्दिक आभार |यह एक प्रयास था |ओ बी  ओ का अगला प्रोग्राम इसी बहर पर है | उसका अभ्यास था यह |

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 13, 2016 at 7:57am

आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहिब आदाब ,सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद | बहर तो ऊपर लिखा हुआ है २२*५ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 13, 2016 at 12:16am

आदरणीय कालीपद प्रसाद जी, ग़ज़ल पर बढ़िया प्रयास हुआ है. हार्दिक बधाई. 

इस बहर में ग़ज़ल कहने के लिए शब्द कलों की तरफ ध्यान देना जरुरी है. सादर 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 12, 2016 at 8:41pm

जनाब कालीपद प्रसाद साहिब , ग़ज़ल की अच्छी कोशिश , दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं --
आपकी ग़ज़ल में बहर का अंदाज़ा नहीं हो पा रहा है ------सादर

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 12, 2016 at 3:57pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी ,आदाब सराहना के लिए तहे दिल से शुक्रिया | आपको पसंद आया मेरा लिखना सफल हुआ | साभार  

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 12, 2016 at 3:55pm

आदरणीय समर कबीर साहिब ,आदाब सराहना के लिए तहे दिल से शुक्रिया | बहर ठीक है २२*५ है | सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on December 12, 2016 at 11:05am
आदरणीय कालीप्रसाद मंडल जी सादर अभिवादन, सृंगार पूर्ण बेहतरीन गजल के लिए दाद के साथ मुबारकबाद कबूल फरमाए। मुझे आपका मतला बेहद खुबसूरत लगा, और शब्दों की बुनकरी भी उम्दा...
Comment by Samar kabeer on December 12, 2016 at 10:23am
जनाब कालीपद प्रसाद मंडल जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
दूसरे शैर के ऊला मिसरे की बह्र चेक करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service