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ज़िन्दगी (कविता)

छोटी छोटी सी खुशियां
भर देती हैं  झोली
हंसी ख़ुशी दिन बीते जब
ज़िन्दगी लगती  हमजोली

जीवन के है रंग निराले
जो  खेले आँख मिचोली
एक आये जब दूजा जाए  
ज़िन्दगी लगती मखमली |

लेकर बहार आती है ज़िन्दगी
प्यार से जब सींचि जाती है
कड़वाहट का ज़हर भी पीती
अपना असर दिखाती है |

अपनों के बीच अपनों के संग

प्यार को पाती है ज़िन्दगी

प्यार गर न मिले तो

सूखे पत्तों की तरह मुरझा जाती है ज़िन्दगी |

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 8, 2016 at 3:32pm
धन्यवाद आदरणीय सुरेश जी ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 8, 2016 at 3:17pm
आदरणीया कल्पना भट्ट जी जिन्दगी के सफर को खूबसूरत तरीके से सजाया है आपने । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 8, 2016 at 1:00pm
धन्यवाद आदरणीय सुशिल जी ।
Comment by Sushil Sarna on October 8, 2016 at 12:55pm

ज़िन्दगी के विभिन्न आयामों को चित्रित करती इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना भट्ट जी। 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 7, 2016 at 9:14pm
धन्यवाद आदरणीया राजेश दी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 7, 2016 at 8:50pm

बहुत  प्यारी कविता बहुत बहुत बधाई प्रिय कल्पना जी 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 7, 2016 at 8:36pm
धन्यवाद आदरणीया अलका जी ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on October 7, 2016 at 8:29pm

बहुत सुंदर कविता के लिए बधाई  आदरणीया कल्पना जी 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 7, 2016 at 3:47pm
आदाब जनाब समर साहब । बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on October 7, 2016 at 11:44am
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,सुन्दर लगी आपकी कविता,बधाई इस प्रस्तिति पर स्वीकार करें ।

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