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ग़ज़ल( इस्लाह के लिए )मनोज अहसास

1222 1222 122

खुदा की दुनिया में क्या क्या नहीं है
हमारी आस को खतरा नहीं है

खुदा से यूँ हमे शिकवा नहीं है
उसे हमने मगर देखा नहीं है

किसी के हाथ में चुभती है चाँदी
किसी के हाथ में चिमटा नहीं है

बदलते दौर में उस घर का नक्शा
गली के मोड़ से दिखता नहीं है

बिखरकर खो गए यादों के मोती
हुनर का मुझमें ही धागा नहीं है

दुआ में और क्या मांगूं मैं या रब
उन्हें मुद्दत से बस देखा नहीं है

उतर आती है ज़न्नत भी ज़मी पर
मगर बिछड़ा खुदा मिलता नहीं है

भटकता है तेरी चाहत में जोगी
तेरी महफ़िल में क्या चर्चा नहीं है

चलें भी आयें वो एक रोज़ शायद
समंदर से बड़ा सहरा नहीं है

जिसे अंधी तलब है जिंदगी की
हकीकत में वही ज़िंदा नहीं है

निगाहें दूर तक करती हैं पीछा
तुम्हारे आने का रस्ता नहीं है

सुना है सब्र की मंज़िल है मीठी
हमारे पास पर नक्शा नहीं है

नज़र आ जाता है सहरा में दरिया
सलीके से कोई प्यासा नहीं है

नहीं है उसको अब मेरी तमन्ना
मुझे भी दर्द अब उतना नहीं है

उसी की याद में आँखे हैं रौशन
उसी के नाम का कतरा नहीं है

ज़माने ने मुझे तोडा है इतना
वो मेरे दिल का अब टुकड़ा नहीं है

थे उसपे बेअसर सब लफ्ज़ मेरे
सो खत में कुछ भी तो लिक्खा नहीं है

ख्यालों में है तेरे गम की सूरत
बयां करने को पर मिसरा नहीं है

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 548

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Comment by मनोज अहसास on November 20, 2016 at 8:11pm
बहुत बहूत आभार
शुक्ल जी
Comment by Ravi Shukla on October 6, 2016 at 5:35pm

आदरणीय मनोज जी बढि़या गजल कही है बधाई स्‍वीकार करें । 

Comment by मनोज अहसास on October 6, 2016 at 2:59pm
आप सभी का हार्दिक आभार
शुक्रिया
ग़ज़ल पसंद करने के लिए
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 5, 2016 at 8:55pm

आ. मनोज भाई , अच्छी गज़ल हुई है , हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 5, 2016 at 8:19pm

बहुत बहुत बधाइयाँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 5, 2016 at 5:59pm

ग़ज़ल तो अच्छी हुई है आ. मनोज कुमार अहसास जी, लेकिन ग़ज़ल पाँच या सात अशआर हों तो पढ़ने में लुत्फ आता है, बाकी के तो बस भर्ती के शे  र बन के रह जाते हैं

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 5:08pm

अच्छी ग़ज़ल आदरणीय मनोज जी | हार्दिक बधाई |

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 5, 2016 at 7:25am

बहुत उम्दा ग़ज़ल  के लिए  बधाई आप्को आ मनोज अहसास  जी 

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