For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल( इस्लाह के लिए )मनोज अहसास

1222 1222 122

खुदा की दुनिया में क्या क्या नहीं है
हमारी आस को खतरा नहीं है

खुदा से यूँ हमे शिकवा नहीं है
उसे हमने मगर देखा नहीं है

किसी के हाथ में चुभती है चाँदी
किसी के हाथ में चिमटा नहीं है

बदलते दौर में उस घर का नक्शा
गली के मोड़ से दिखता नहीं है

बिखरकर खो गए यादों के मोती
हुनर का मुझमें ही धागा नहीं है

दुआ में और क्या मांगूं मैं या रब
उन्हें मुद्दत से बस देखा नहीं है

उतर आती है ज़न्नत भी ज़मी पर
मगर बिछड़ा खुदा मिलता नहीं है

भटकता है तेरी चाहत में जोगी
तेरी महफ़िल में क्या चर्चा नहीं है

चलें भी आयें वो एक रोज़ शायद
समंदर से बड़ा सहरा नहीं है

जिसे अंधी तलब है जिंदगी की
हकीकत में वही ज़िंदा नहीं है

निगाहें दूर तक करती हैं पीछा
तुम्हारे आने का रस्ता नहीं है

सुना है सब्र की मंज़िल है मीठी
हमारे पास पर नक्शा नहीं है

नज़र आ जाता है सहरा में दरिया
सलीके से कोई प्यासा नहीं है

नहीं है उसको अब मेरी तमन्ना
मुझे भी दर्द अब उतना नहीं है

उसी की याद में आँखे हैं रौशन
उसी के नाम का कतरा नहीं है

ज़माने ने मुझे तोडा है इतना
वो मेरे दिल का अब टुकड़ा नहीं है

थे उसपे बेअसर सब लफ्ज़ मेरे
सो खत में कुछ भी तो लिक्खा नहीं है

ख्यालों में है तेरे गम की सूरत
बयां करने को पर मिसरा नहीं है

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 526

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on November 20, 2016 at 8:11pm
बहुत बहूत आभार
शुक्ल जी
Comment by Ravi Shukla on October 6, 2016 at 5:35pm

आदरणीय मनोज जी बढि़या गजल कही है बधाई स्‍वीकार करें । 

Comment by मनोज अहसास on October 6, 2016 at 2:59pm
आप सभी का हार्दिक आभार
शुक्रिया
ग़ज़ल पसंद करने के लिए
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 5, 2016 at 8:55pm

आ. मनोज भाई , अच्छी गज़ल हुई है , हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 5, 2016 at 8:19pm

बहुत बहुत बधाइयाँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 5, 2016 at 5:59pm

ग़ज़ल तो अच्छी हुई है आ. मनोज कुमार अहसास जी, लेकिन ग़ज़ल पाँच या सात अशआर हों तो पढ़ने में लुत्फ आता है, बाकी के तो बस भर्ती के शे  र बन के रह जाते हैं

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 5:08pm

अच्छी ग़ज़ल आदरणीय मनोज जी | हार्दिक बधाई |

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 5, 2016 at 7:25am

बहुत उम्दा ग़ज़ल  के लिए  बधाई आप्को आ मनोज अहसास  जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
48 minutes ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
51 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
52 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
52 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी ठीक है  मशविरा सब ही दे रहे हैं पर/ मगर ध्यान रख तेरे काम का क्या है ।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमस्कार। बहुत बहुत आभार आपका।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर नमस्कार। बहुत बहुत शुक्रियः आपका"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई आपको।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सम्माननीय ऋचा जी । बहुत बहुत आभार"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service