For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यों खामोश हो
कुछ बोलते भी नहीं
कुछ कहते भी नहीं
कुछ सुनते भी नहीं

वो देखो वहाँ
क्षितिज के किनारे
आकार ले रहा है
प्यार बादलों में

वो देखो  वहाँ
उन लहरों को
जो कर रही है बयां
प्यार चट्टानों से

वो देखो वहाँ
उन परिंदो को
जो उड़ते हुए भी
कर रहे बातें बादलों से

वो देखो वहाँ
रंग बदलते आस्मां को
किस तरह रंग बदलता है
बिलकुल तुम्हारी ही तरह

गुलाबी फ़ज़ाओं में
नारंगी का रस घोले
हरी सुकुमारी पर
बिछायी यह काली बदरी

कितने बदल गए हो तुम
पल में ही बरस पड़े हो |
देख रहे हो
कितने खामोश हैं सब यहाँ !

 

सब कुछ है यहाँ

फिर भी यह कैसी ख़ामोशी !

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 546

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 24, 2016 at 6:29pm

धन्यवाद आदरणीय सतविन्द्र भैया |

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 23, 2016 at 6:16pm
प्रकृति का मानवीयकरण करने की यह उम्दा कोशिश हुई है।बेहतरीन भावोद्गार हुआ है।बहुत् बहुत बधाई आदरणीया कल्पना दीदी।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 23, 2016 at 5:47pm

धन्यवाद आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 23, 2016 at 5:46pm

सादर धन्यवाद् आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण ' जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 23, 2016 at 5:45pm

आदरणीय सुशिल सरना जी , मुझे बिलकुल बुरा नहीं लगा न ही लगेगा | जी आपने सही कहा था शाब्दिक दोष थे जिसको सही कर दिया है | आपका बहुत बहुत धन्यवाद् | सादर |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 23, 2016 at 5:42pm

आदाब जनाब समर साहब |  आपको कविता पसंद आई सार्थक हुआ मेरा यह प्रयास | सादर धन्यवाद | 

Comment by Shyam Narain Verma on September 23, 2016 at 2:48pm

बहुत सुन्दर ... सादर बधाई स्वीकारें

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 23, 2016 at 1:16pm
आदरणीया कल्पना भट्ट जी बहुत ही सुन्दर प्रकृति चित्रण एवं बिंब विधान।सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई । सादर ।
Comment by Sushil Sarna on September 22, 2016 at 9:09pm

आदरणीय कल्पना भट्ट जी भावों का सुंदर सम्प्रेषण हुआ।  हार्दिक बधाई।  हाँ कहीं कहीं शाब्दिक दोष अखरता है जैसे -खोमोश=ख़ामोश ,रहीं है =रही हैं ,रास =रस।  कृपया देख लें।  कृपया अन्यथा भी न लेवें। सदर। .. 

Comment by Samar kabeer on September 22, 2016 at 7:01pm
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,बहुत उम्दा कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रभाजी हार्दिक धन्यवाद प्रशंसा के लिए | "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service