For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीपक तले अँधेरा

कलावती देवी को प्राइमरी शिक्षिका के पद से सेवानिवृत्त हुए चौदह पन्द्रह वर्ष बीत  चुके थे | पति का देहांत हो गया था और वह अपने बेटे के साथ रहती थीं | अकेलेपन और अवहेलना ने उनको चिड़ाचिड़ा बना दिया था | कान से कम सुनाई देता था इस लिए खुद भी तेज आवाज में बोलती थीं, ऐसा कि पूरा मोहल्ला सुनता | बाहर बैठ कर अखबार और अध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ना यही उनकी दिनचर्या थी | सास-बहू का जैसे सांप छछूंदर सा बैर था, ना तो बहू उनका ख्याल रखती ना ही वह बहू पर तंज कसने का कोई मौका छोड़तीं | बहू उनका खाना निकाल कर रख देती और रसोई में ताला डाल कर ऊपर चली जाती फिर सास को क्या चाहिए, क्या नहीं बहू को कोई सरोकार नहीं था, बच्चों को भी अपने ही रंग में रंग रखा था उसने |
उस दिन जब वह पूजा-पाठ कर के बाहर निकलने लगीं, तभी गेट के पास रखे कूड़ेदान से उनकी धोती छू गयी, बस फिर क्या ! वह शुरू हो गयी बहू पर -
“चार-चार बच्चे जने पर तमीज आजउ ना आई..अबही तक कूड़ा हियन डरो है ..दुपहर हुयिबे को आई..ना जाने महतारी-बाप का सिखाउत हैं..अपना जऊन लच्छन की है.. बोई अपने बच्चन का सीखाउत है..जब से जे घर में आई तब से घर की बरकत चली गयी..हमाओ सीधो-साधो लला फँस गओ बा के जाल में ..|”
बाहर बैठ कर कलावती देवी शुरू हो गयी थीं और पूरा मुहल्ला सुन् रहा था | खूब बोल लेने के बाद वह फिर से अपनी अध्यात्मिक पुस्तक खोल कर पढ़ने लगीं | जैसे ही वह कथा के रस में डूबने लगीं अचानक उनके ऊपर धूल, कागज, जूठन, सब्जियों के छिलके आदि गिरने लगे | वह चौंक पड़ीं | उन्होंने जैसे ही ये देखने के लिए कि ये क्या हुआ ? अपना चेहरा ऊपर उठाया, उनका मुंह खुला का खुला रह गया, वह जहाँ बैठी थीं वहीं जड़ हो गयीं, अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ, उनकी सारी बोलती बंद हो गयी, गले से आवाज नहीं फूट रही थी, ह्रदय वेदना से भर उठा, दोनों आँखें पहले भीगीं फिर छलक पड़ीं | ये तो उनके ही कुल का दीपक उनका बड़ा पोता, जो कूड़ेदान का सारा कूड़ा उनके ऊपर उलट कर जा चुका था | पीछे से बहू ने भड़ाक से गेट बंद कर लिया |

मौलिक/अप्रकाशित 
मीना पाठक 

Views: 536

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on September 15, 2016 at 8:47pm

बहुत आभार आदरणीय सुशील जी | सादर 

Comment by Sushil Sarna on September 15, 2016 at 8:45pm

आदरणीया मीना जी एक मार्मिक यथार्थ और एक मार्मिक वर्तमान को जीती इस लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by Meena Pathak on September 15, 2016 at 8:23pm

रचना की सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 15, 2016 at 4:15pm

अच्छी लघु कथा लिखी है मीना जी ये सास बहु का रिश्ता यूं ही बदनाम नहीं हुआ कुछ घरों में कारनामे ऐसे ही होते हैं |बहुत बहुत बधाई आपको |

Comment by Meena Pathak on September 14, 2016 at 1:35pm

रचना की सराहना हेतु बहुत-बहुत आभार आदरणीय कबीर जी ..

Comment by Samar kabeer on September 13, 2016 at 10:46pm
मोहतरमा मीना पाठक जी आदाब,पहली बार आपकी रचना से रूबरू होने का मौका मिला है,बहुत अच्छा लिखती हैं आप,बढ़िया लघुकथा लिखी आपने,दिल से बधाई स्वीकार करें 8स प्रस्तुति पर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service