For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बाँझ निवास (लघुकथा)राहिला

"अरी विभा देख जरा वहां"बस के आगे जा रहे वाहन की ओर इशारा करके सुधा बोली।

"क्या दिखाना चाह रही हो ,वो ट्रॉली?"

"हाँ,क्या ऐसा नहीं लग रहा उसे देख कर, जैसे सैकड़ो नन्हें मुन्ने नर्सरी के बच्चे पहली बार विद्यालय वाहन में सवार हो,झूमते ,गाते ,तालियाँ बजाते चले जा रहे हों।"

"फिर दौड़ाये तूने कल्पना के घोड़े"

"तो तू भी दौड़ाकर देख ,एक बार मेरी तरह।"

सुधा द्वारा चित्रित किये दृश्य को जब उसने ,उसकी नज़र से देखा तो भाव विभोर होकर बोली।

"कसम से सुधी! ये नर्सरी  वाहन में वृक्षारोपण के लिये जा रहे नन्हे पौधे ,हवा के साथ अठखेलियां करते वाकई मासूम बच्चों से लग रहे हैं।"

"बच्चे किसी के भी हों ,सुन्दर लगते हैं ना! एक जमाना था जब हर घर के आँगन या बाड़े में इन बच्चों से खूब रौनक हुआ करती  थी।"

"हाँ गाँव में तो अभी भी ग़नीमत है, लेकिन शहर में तो अब हर तरफ बाँझ निवास दिखाई देते हैं।"

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1209

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on July 10, 2016 at 12:34pm
मोहतरमा राहिला साहिब आदाब,बहुत अच्छी लगी आपकी लघुकथा शह्र के वातावरण पर अच्चा तंज़ किया है आपने बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 10, 2016 at 12:12pm

"हाँ गाँव में तो अभी भी ग़नीमत है, लेकिन शहर में तो अब हर तरफ बाँझ निवास दिखाई देते हैं।"...........वाह ! वाह ! सचमुच बढती जनसंख्या और विकास ने शहरों की हरियाली छीन ली है.सुंदर लघुकथा. बहुत-बहुत बधाई. सादर.

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 10, 2016 at 12:16am
'मानवीकरण'व प्रतीकों में सार्थक संदेश वाहक प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीया राहिला जी। वनस्पतियों का मानवीकरण तो ठीक है, लेकिन निवास का मानवीकरण अर्थात /बांझ निवास/ कहां तक उचित है, यह वरिष्ठजन ही बता सकेंगे।
Comment by Nita Kasar on July 9, 2016 at 8:27pm
पर्यावरण के प्रति सचेत करती सार्थक कथा,आज नही संभलेंगे तो फिर कब संभलेंगे बधाई आपको आद०राहिला जी ।
Comment by Rajendra kumar dubey on July 9, 2016 at 7:10pm
आदरणीय राहीला जी सच कहा आपने शहर में कांक्रीट के जगंल बनते जा रहे है और धीरे धीरे गांव भी इसकी चपेट में आ रहा है।एक सार्थक लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
7 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
13 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service