For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत-ऐ! राही आगे बढ़ता जा

ऐ! राही! आगे बढ़ता जा।

पथिक सत्य के पथ का तूँ है
उच्च-शिखर पर चढ़ता जा।
ऐ! राही! पथ पर.......

संघर्षों से तूँ ना डरना।
पथ पर पग पीछे ना धरना।।
बहुत मिलेंगे क्षणिक बवंडर।
रोकेंगे तुझको पग-पग पर।।
तोड़ आँधियों का मद प्यारे!
बाधाओं से लड़ता जा।
ऐ! राही! पथ पर.......

यूँ प्रतिमान रचे ना कोई।
कठिनाई से बचे न कोई।।
करके फिर अवलोकन देखो।
युग-पुरुषों का जीवन देखो।।
पाठ सत्य-संघर्ष-विजय का,
तव-जीवन के पढ़ता जा।
ऐ! राही! पथ पर.......

कष्ट-साध्य-दुर्गम पथ प्यारे!
सच्चे साधक कब हैं हारे?
लक्ष्य सहज यूँ कहाँ मिलेगा?
सत्य-परीक्षा प्रतिक्षण लेगा।
धैर्य-शौर्य-साहस के अपने,
अमिट कहानी गढ़ता जा।
ऐ! राही! पथ पर..........

विजय-पराजय बहुत मिलेंगे।
ये तो लघु मोती-से होंगे।।
लक्ष्य कीमती कोहिनूर है।
शिखर-बिंदु अब नही दूर है।
संघर्षों में जय के मोती,
शीशमुकुट निज जड़ता जा।
ऐ राही पथ पर........
पथिक सत्य के.........
ऐ! राही! पथ पर.......

रचनाकार-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on July 7, 2016 at 2:15pm
गीत की सराहना के लिए हृदय से आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 5, 2016 at 10:17pm

आदरणीय रामबली गुप्ता जी सादर, मेरा इशारा स्थायी की तरफ था. जिसे आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहब ने और स्पष्ट किया है. सादर.

Comment by रामबली गुप्ता on July 5, 2016 at 9:55pm
आद0 गोपाल नारायण जी सराहना एवं सुझावों के लिए हृदय से आभार। आपके सुझावों के अनुरूप अलग से संशोधन कर चुका हूँ।
Comment by रामबली गुप्ता on July 5, 2016 at 9:50pm
आद0 अशोक जी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार किन्तु प्रथम पंक्ति और अंतरे में किस अंतर की ओर इंगित करना चाहते है आप मैं समझ न सका। कृपया स्पष्ट करें ताकि मार्गदर्शन मिल सके।सादर
Comment by रामबली गुप्ता on July 5, 2016 at 9:46pm
हृदय से आभार आद0 रवि शुक्ल जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 5, 2016 at 8:45pm

आदरणीय राम बली भाई , जीने का जोश भरते आपके गीत के लिये हार्दिक बधाई । बाक़ी शिल्प पर आ. गोपाल जी ने कह ही दिया है ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 5, 2016 at 9:51am

aअ० राम बली जी , सुन्दर् रचना  -------------------------------

यदि प्रारम्भ हैं -ऐ! राही! आगे बढ़ता जा।------ तो ---ऐ! राही! पथ पर.......कैसे ?

संघर्षों से तूँ ना डरना।
पथ पर पग पीछे ना धरना।।-------- 'ना'  शब्द के प्रयोग से बचें  'न'' सही है . आवश्यकता पड़ने पर 'ना '' को 'मत' किया जा सकता है .

पथिक सत्य के पथ का तूँ है
संघर्षों से तूँ ना डरना।------------------------तूँ  नहीं तू सही होगा .  शुभ-शुभ  आदरणीय . .

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 4, 2016 at 11:59pm

आदरणीय रामबली गुप्ता जी सादर, सुंदर गीत रचा है किन्तु प्रथम पंक्ति कुछ और है जबकि आपने हर अंतरे के पश्चात कुछ और ली है. अंतिम अंतरे की यह पंक्ति भी एक बार जांच लें "विजय पराजय बहुत मिलेंगे" ......मिलेंगे या मिलेंगी देख लें. सादर.

Comment by Ravi Shukla on July 4, 2016 at 1:06pm

आदरणीय राम बली जी सुन्‍दर और प्रेरक गीत के लिये हार्दिक बधाई स्‍वीकार करें । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service