For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नब्ज :लघुकथा: हरि प्रकाश दुबे

“वह दौड़ कर अपने बड़े भाई के गले से लग गया और बोला, भईया कितने दिनों बाद मिल रहा हूँ आपसे, बता नहीं सकता कितनी ख़ुशी हो रही है मुझे, बस इस महानगर में अपना ही घर खोजने में जरा सी दिक्कत हुई..हा हा ।“

“हाँ –हाँ ठीक है छोटे, और बताओ कैसे आना हुआ, सब ठीक तो है ना, और माँ-पिताजी कैसे हैं, एक-आध दिन तो रुकोगे ना?”

भाई की नीरसता को देखकर वह कुछ देर के लिए उलझन में पड़ गया पर मुस्कराते हुए बोला नहीं भईया आज ही निकल जाऊँगा, शाम की गाड़ी है, मैं तो बस आपको चाचा की लड़की की शादी का निमंत्रण देने आया था, और माँ-पिताजी ने आप सबको आने के लिए कहा है आखिर कब से आप गाँव नहीं आये हैं, इसी बहाने सभी रिश्तेदारों से भी मिलना हो जाएगा ।

“मैं नहीं आ पाऊंगा, अरे कौन से रिश्तेदार और कौन सा गाँव, जब मुझे जरूरत थी तो कहां थे सब? अपने जीवन की उलझने अपने आप सुलझाई हैं मैंने, तब कहीं इस मुकाम तक पहुंचा हूँ, और ये ले ‘एक हजार एक रूपये’, मेरे नाम से नेवता लिखवा देना, किसी का कोई अहसान नहीं है मुझ पर, और हाँ ! अभी जरा काम से निकल रहा हूँ, शाम तक आ जाऊंगा तुझे स्टेशन तक छोड़ दूंगा, किराया-भाड़ा है ना या मैं दूं ।“

“नहीं भईया, किराया-भाड़ा है हमारे पास, बस एक बात और कहना चाह रहे थे।“

“हाँ बोल ।“

“अगर आप सोचतें हैं की आपके जीवन में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके लिए आपको किसी का भी आभारी होना पड़े, तो कृपया एक बार अपनी नब्ज की जांच कर लीजियेगा ।“

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 881

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Amit Tripathi Azaad on February 11, 2016 at 10:53am

आदरणीय हरी प्रकाश जी "नब्ज़ " याद  दिलाकर आपने नब्ज़ में लहू की सरगर्मी तेज़ कर दी आपको हार्दिक बधाई |

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 11, 2016 at 8:54am
वाह्ह्ह्।जबरदस्त पंच!हार्दिक बधाई आदरणीय दूबे जी।
Comment by Nita Kasar on February 10, 2016 at 6:53pm
बड़े भाई की कमज़ोर नब्ज़ पर हाथ रखा है छोटे भाई ने।जब दौलत शोहरत मिल जाती है कुछ लोग कृतघ्न हो जाते है सारथक संदेशपूर्ण कथा के लिये बधाई आद०हरी प्रकाश दुबे जी ।
Comment by pratibha pande on February 9, 2016 at 10:21pm
बहुत गूढ़ मर्म लिए कथा ,मनुष्य के दंभ की पराकाष्ठा ,जब वो जीवन दाता के प्रति भी स्वयं को आभारी नहीं मानता . शिल्प भी कसावट लिए है हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी ,

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 9, 2016 at 8:16pm
आदरणीय हरि प्रकाश भाई जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है हार्दिक बधाई।
पंचलाइन जबरदस्त है
Comment by TEJ VEER SINGH on February 9, 2016 at 4:29pm

हार्दिक बधाई आदरणीय हरि प्रकाश जी!सुन्दर लघुकथा!

Comment by Samar kabeer on February 9, 2016 at 2:35pm
जनाब हरी प्रकाश दुबे जी आदाब,इस शानदार लघुकथा के लिये बधाई स्वीकार करें !
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 9, 2016 at 1:30pm
कई भाइयों, कई माँ-बाप व बेटों की दुखती रग़ को शाब्दिक करती बढ़िया भाव पूर्ण, कटाक्ष पूर्ण रचना के लिए तहे दिल बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी।
Comment by Rahila on February 9, 2016 at 11:27am
आदरणीय दुबे सर जी!बहुत अच्छी लघुकथा हुई । बहुत बधाई आपको । सादर
Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on February 9, 2016 at 10:57am

सभी के साथ ऐसा होता है, संघर्ष के समय कोई साथ नहीं होता, सफलता मिलने पर साथी मिल ही जाते हैं| लेकिन सफल होने पर मानव-धर्म का पालन करना भी सफलता का एक मार्ग है| सादर बधाई स्वीकार करें आदरणीय हरी प्रकाश जी सर|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को उकेरते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
52 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"कुम्भ लगा प्रयाग में, संतो का जमघट है,आमजन भी आ जुटे, मुक्ति स्नान करने।पर्व सनातन का है,…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी,  आपके प्रयास की वाह-वाह भूरि-भूरि, कठिन है किंतु पद, आपने लगा…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी,  कवित्त है शुद्ध शुद्ध, कवि मन से प्रबुद्ध, पद पढ़ बार-बार, रस में…"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   बरसों बाद मेला है, खूब ठेलम ठेला है, भीड़ बहुत भारी है,…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"सुगढ़ कवित्त प्रस्तुति, आदरणीय अशोक भाईजी  मैं पुन: उपस्थित होता हूँ। "
17 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   संगम  के  तट  पर, संतो  का  जमावड़ा  है, एक…"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 175 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |इस बार का…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service