For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- बेरहम दुनिया ने मुझसे शायरी भी छीन ली।

2122 2122 2122 212

आखिरी उम्मीद की अब ये कली भी छीन ली।
बेरहम दुनिया ने मुझसे शायरी भी छीन ली।

रौशनी की बात तो किस्मत में लिक्खी ही नहीं ।
छुप के रोया तो खुदा ने तीरगी भी छीन ली।

दिल लगाया था किसी से दिल्लगी के वास्ते।
दिल्लगी क्या कर ली ख्वाबों की हँसी भी छीन ली।

मय न पीने को मिली तो अश्क ही पीने लगा ।
देख यह किस्मत ने आँखों की नमी भी छीन ली।

दोस्ती के फूल जब मुरझा गये इक मोड पर।
मुफलिसी ने फिर कहानी प्यार की भी छीन ली।

वक्त जब बरबादियों के बीच लेकर आ गया।
तो किसी ने वो निशानी यार की भी छीन ली।

बदनसीबी साथ 'राहुल' इस तरह मेरे रही।
दाग देने को जमीं शमसान की भी छीन ली।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 1110

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 17, 2015 at 10:42am
आदरणीय गिरीराज जी बहुत आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 17, 2015 at 7:18am

आदरणीय राहुल भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है , सभी अश आर बेहतरीन हुये हैं , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 17, 2015 at 6:14am
आदरणीय सुनील जी बहुत बहुत आभार ।
Comment by shree suneel on September 16, 2015 at 7:55pm
बधाई आपको इस भावपूर्ण ग़ज़ल के लिए आदरणीय. सादर
Comment by Rahul Dangi Panchal on September 16, 2015 at 4:55pm
आदरणीय मुकेश जी धन्यवाद
Comment by Rahul Dangi Panchal on September 16, 2015 at 4:55pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी धन्यवाद आजकल बहुत सा समस्याओं से बुरी तरह घिरा हुआ हूँ इसलिए मंच को समय नहीं दे पा रहा। क्षमा करना
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on September 16, 2015 at 12:27pm

gud gud


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 16, 2015 at 12:02pm

बढ़िया ग़ज़ल... बधाई 

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 15, 2015 at 1:08pm
आदरणीय शुक्ला जी आभार ।
Comment by Ravi Shukla on September 15, 2015 at 11:35am

आदरणीय राहुल जी

वाह क्‍या बात है एक साथ बहुत सारी मज़बूरियां बयां कर दी

सभी शेर अपनी रवानी के साथ अच्‍छे हुए है

आखिरी शेर में शायद तकाबुले रदीफेन है

ग़ज़ल के लिये बधाई कुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"उत्तम प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"वाह बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी झूठ पर आधारित सुन्दर दोहावली का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई ।सर क्या दोहे में…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)-----------------------------देवलोक भी जोहता,चकवे की ज्यों बाट।संत सनातन संग…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service