Comment
बहुत अक्षी आप को बधाई, आप एक रचना लिखे "आज की नारी"
"नारी आखिर नारी होती है
उनके अथाह प्रेम में दुनिया समाई होती है " वह प्रेम किसी भी रूप में हो सकता है,.............
राजीव जी, विषय काफी ससक्त है, ख्यालात भी अच्छे है शुरुआत भी आपने सही किया है, किन्तु बीच में कई जगह कविता पर पकड़ ढीला पड़ा है, दोहराव की स्थिति प्रतीत हो रहा है, आप इस रचना को थोड़ा गुनगुनाते हुए प्रवाह को ध्यान रखते हुए एक से अधिक बार पढ़े और जहा जहा पर अटकाव महसूस हो उसे चिन्हित करे, पुनः सुधार के साथ रचना को पढ़े, यकिन मानिये कस जाएगी यह रचना, यदि संभव हो तो किसी अच्छे मित्र को भी दिखाए |
बहरहाल, सुंदर प्रयास, बधाई स्वीकार हो |
Rajiv ji,puchati hoon mein mujhe kokh me maarne walon se.Sundar abhivykti ke liye aabhaar.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online