For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पुण्य-लाभ (लघुकथा) - मिथिलेश वामनकर

दोनों लगभग एक ही साथ चित्रगुप्त के समक्ष पहुंचे क्योकिं आश्रम में हृदयघात से जब बाबा दुनिया से सिधारे तो  अगाध श्रद्धा रखने वाले भूपेश भाई ने भी सदमे में तत्काल प्राण त्याग दिए.

चित्रगुप्त ने बाबा को स्वर्ग में भेज दिया और भूपेश भाई को नर्क जाने का आदेश दिया.

सुनकर भूपेश भाई सन्न रह गए, लेकिन बाबा के आश्वासन की याद आते ही खुद को सँभालते हुए बोले-

“मुझे नरक क्यों भगवन?”

“क्योकि तुमने कोई पुण्य कार्य नहीं किया वत्स!”

“नहीं भगवन!....जीवन भर आश्रम में दान किया, हवन, कथापाठ कराया, गरीबों में भोजन और वस्त्र बंटवायें”

“अच्छा वत्स ये बताओ, आश्रम में दान किया, उस धन का किसने और क्या उपयोग किया?”

“बाबा ने उससे  जमीनें खरीदी और आश्रम बनवाये.”

“हवन और कथा पाठ किसने किया? गरीबों में भोजन और वस्त्र किसने बाँटें?”

“जी बाबा ने”

“वत्स! पुण्य के समस्त कार्य तो बाबा ने किये न ?  आराधना का स्थापन्न अभिकर्ता नहीं हो सकता वत्स. फिर तुम्हें स्वर्ग कैसे भेज दूं? अच्छा, अपने पुण्य और पाप की तुलना करके तुम ही बताओं वत्स कि क्या उचित है?”

भूपेश भाई बिना उत्तर दिए, नर्क-द्वार की ओर बढ़ गए.

-----------------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
------------------------------------------------------------

Views: 510

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 11, 2015 at 3:41pm

आदरणीय वीरेंदर जी लघुकथा की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.

संभवतः व्यंग्य शैली में भी कथ्य के मर्म को संप्रेषित करने में असफल हुआ हूँ ... लघुकथा अपने उद्देश्य में सफल होती दिखाई नहीं दे रही है. कथानक प्रतीकात्मक उठाया है लेकिन वास्तविक सा संप्रेषित हो रहा है. सादर 

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on August 11, 2015 at 3:22pm
आदः मिथिलेश भाई जी आप ने बड़े ही सुन्दर ढ़ग से पाप और पुण्य को एक नया आयाम दिया है। हालाकिं समी लोग इससे सहमत हो ये जरूरी नही है । बरहाल सुन्दर लघुकथा के लिए सादर बधाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 11, 2015 at 3:02pm

आदरणीय गिरिराज सर, लघुकथा की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 11, 2015 at 3:02pm

आदरणीया प्रतिभा जी, लघुकथा की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 11, 2015 at 3:01pm

आदरणीय ओमप्रकाश जी, लघुकथा की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2015 at 10:40am

आदरणीय मिथिलेश भाई , यद्यपि दान भी एक पुण्य कार्य मे शामिल है , नही तो कर्ण को दानवीर नही कहते , फिर भी पुण्य को एक नई परिभाषा देने के लिये आपको लघुकथा के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by pratibha pande on August 10, 2015 at 6:13pm
भक्त माया दान नहीं करते तो बाबा पुण्य कार्य कैसे करते ? सधी हुई कथा के लिए आपको बधाई आ० मिथिलेशजी
Comment by Omprakash Kshatriya on August 10, 2015 at 5:50pm
आ मिथिलेश जी आप ने बड़े ही सधे हुए पापपुण्य को रेखांकित कर दिया । बधाई सुन्दर लघुकथा के लिए ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 10, 2015 at 2:16pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, लघुकथा की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.

Comment by TEJ VEER SINGH on August 10, 2015 at 12:30pm

आदरणीय मिथिलेश जी, पाप पुन्य की खूबसूरत व्याख्या करती सुंदर लघुकथा!हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service