For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बदगुमानी ( लघुकथा )

" बहुत गुमान था तुमको सृजन पर , देखो मेरी ताक़त ", विनाश इतरा रहा था । पूरा इलाका तबाह हो गया था , दूर दूर तक कहीं जीवन का कोई नामोनिशान नज़र नहीं आ रहा था ।
लेकिन श्रृष्टि अभी भी मुस्कुरा रही थी " तुमने शायद पीछे मुड़ कर नहीं देखा "।
विनाश ने पलट कर देखा , उसका दर्प चूर चूर हो गया ।
एक नन्हीं सी कोंपल सृजन की विजय पताका फहरा रही थी , जीवन पुनः जीत गया था ।
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 568

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 14, 2015 at 10:48am

ये एक कुदरत का शाश्वत  नियम है एक जाता  है तो एक आता है विनाश सृजन को रोक  नहीं सकता निराशा ही आशा को जन्म देती है |

बहुत ही सार्थक लघुकथा हार्दिक बधाई विनय जी .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 14, 2015 at 9:29am

निराशा और फिर आशा को प्रेरित करती बहुत सुंदर लघुकथा, आदरणीय विनय जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by विनय कुमार on June 13, 2015 at 11:31pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर मेहता जी , आप जैसे लेखक से प्रसंशा मिलना सौभाग्य की बात है..

Comment by विनय कुमार on June 13, 2015 at 11:30pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय राज कुमार आहूजा जी..

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 13, 2015 at 10:40pm
ये एक सार्वभौमिक सत्य ही है कि जीवन कभी नही हारता।
बहुत सुन्दर रचना आद: विनय कुमार जी। दिल से बधाई स्वीकार करे।
Comment by rajkumarahuja on June 13, 2015 at 10:35pm

हर विनाश के बाद सृजन है, यही नियम है ! सुन्दर लघु-कथा माननीय vinaya kumar singh  जी ! 

Comment by विनय कुमार on June 13, 2015 at 9:34pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , आपका स्नेह है जो आपको इतना अच्छा लगता है । सादर आभार..

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 13, 2015 at 8:34pm

आ० विनय जी

बहुत सुन्दर

विनाश सृजन की हस्ती नहीं मिटा सकता , वाह .

Comment by विनय कुमार on June 13, 2015 at 5:33pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी..

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 13, 2015 at 3:52pm

शीर्षक को सार्थक करती प्रेरक लघु-कथा  , बधाई, आदरणीय विनय कुमार सिंह जी. . 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service