For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

             स्वप्न-भाव

मुझको सपने याद नहीं रहते

दर्द की कोख से जन्मे एक सपने के सिवा

आत्मीय पहचान का गहरापन ओढ़े

बार-बार लौट आता है वह

पलकों के पीछे के अंधेरों से धीरे-धीरे

जीवन के अंगारी तथ्यों की ज्वलन्त

सच्चाई की चिरन्तन खोज में

आदतन अनदीखे आत्मा तक मेरी

तुम्हारी तरह

शायद रह गया हो उसका कुछ अपना यहाँ

या, तुम ही कुछ भूल गई थी क्या

जो रह गया प्राणों में काँटे-सा चुभा

दर्द भरे अकुलाते अनुभव-सा 

मुझमें

लिए दुख की कथाएँ

आशंका की काली छायाएँ

हमेशा के लिए ...

आत्म-मन्थन करती बेचैन भीतरी सोच

खोल देती है अधबने सपने में भी

नव-आविश्कृत

अर्थहीन प्रश्नों के द्वार

 -- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 789

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 28, 2015 at 11:09am

मुझको सपने याद नहीं रहते
दर्द की कोख से जन्मे एक सपने के सिवा  ... अद्भुत अभिव्यक्ति ! आदरणीय, विजय भाईसाहब, इस पंक्ति केलिए मैं हृदय तल से बधाई देता हूँ.

आत्मीय पहचान का गहरापन ओढ़े
बार-बार लौट आता है वह
पलकों के पीछे के अंधेरों से धीरे-धीरे
जीवन के अंगारी तथ्यों की ज्वलन्त
सच्चाई की चिरन्तन खोज में
आदतन अनदीखे आत्मा तक मेरी
तुम्हारी तरह .... ..................... प्रतीकात्मकता में आपकी छाप स्पष्ट है. किसी जीवन में किसी की उपस्थिति की इतनी सुन्दर अनुभूति ! आत्मीय ऐक्य का इतना मनोहारी अनुभव !! वाह !!  

आपकी अभिव्यक्तियों में चिर प्रतीक्षा और भावमय अपूर्णता के प्रति आपके कवि का उत्कट व्यवहार मुझे सदा मनोमय दशा की अवधारणा के प्रति आश्वस्त करता है.
इस प्रस्तुति के लिए सादर धन्यवाद, आदरणीय.
सादर

Comment by shree suneel on May 26, 2015 at 5:16pm
आदरणीय विजय निकोर सर, भावपूर्ण कविता हुई... इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाईयाँ आदरणीय.
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 25, 2015 at 9:31pm

आ0 निकोर सरजी,  कविता दिल को छू गयी.  हार्दिक बधाई  स्वीकारे  सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 25, 2015 at 4:05pm

निकोर जी 

वेदने ! तू भी भली बनी

तुझ मे ही तो मैंने पायी अपनी छांह घनी  ----------मैथिलीशरण गुप्त जी की ये पंक्तियाँ आपको  सादर समर्पित .

Comment by Samar kabeer on May 25, 2015 at 3:50pm
"निकोरे जी यूँ ही कविताऐं लिखना
मैं तुमसे यही बोलना चाहता हूँ ।
Comment by Samar kabeer on May 25, 2015 at 3:19pm
जनाब विजय निकोर जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी,  हार्दिक धन्यवाद प्रशंसा के लिए | गेयता के संबंध में आप सही हैं| "
17 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, प्रदत्त चित्र को बहुत शाब्दिक किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
21 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को महाकुम्भ से जोड़कर आपने बहुत सुन्दर…"
27 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रभाजी बहुत ही सुन्दर तरीके से हर पद में तुकांतता का ध्यान रखते हुए मनहरण घनाक्षरी की…"
30 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"  जी ! आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, मैंने सायास प्रदत्त चित्र को कुम्भ से जोड़ने…"
35 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
42 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, मेरे प्रस्तुत कवित्त पर कवित्त में प्रतिक्रिया पाना मेरा सौभाग्य…"
44 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"  जी ! सादर प्रणाम. "
48 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   लगता न पल एक, शंख कोई फूँक दे तो, सोते  सनातनियों  को, कभी …"
48 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी,  चार पंक्ति में ही कुंभ का दृश्य सामने आ गया| हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। छंदों पर आपकी उपस्थिति व कमियों को उजागर करने के लिए आभार। इस छंद…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  चित्र  पर बहुत कुछ लिख गए | प्रयास सराहनीय है | पर छंद के नियमों का…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service