For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्यासी देह .....

मन की कंदराओं में किसने .......
अभिलाषाओं को स्वर दे डाले .......
किसकी सुधि ने रक्ताभ अधरों को ......
प्रणय कंपन के सुर दे डाले//

मधुर पलों का मुख मंडल पर ........
मधुर स्पंदन होने लगा .........
मधुर पलों के सुधीपाश में ........
मन चन्दन वन होने लगा//

नयन घटों के जल पर किसकी .......
स्मृति से हलचल होने लगी ........
भाव समर्पण का लेकर काया .......
मधु क्षणों में खोने लगी//

किसको छूकर हृदय द्वार पर .......
पवन ने दस्तक दे डाली ......
नृत्य भाव में मग्न हो गयी ......
प्यासी देह की हर डाली//

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित



Views: 734

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 5, 2015 at 12:28pm

आदरणीय सौरभ जी -कुछ अपरिहार्य घरेलू परिस्थितियों के चलते मैं आपकी प्रतिक्रिया पर आभार व्यक्त न कर सका,इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ  -रचना पर आपकी स्नेहमयी प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया और सुझाव सदा मेरे लेखन को उत्साहित करती है - इस मान से मैं स्वयं को गौरान्वित महसूस कर रहा हूँ - रचना पर आपकी स्नेह दृष्टि का हार्दिक आभार। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 27, 2015 at 12:58am

रीतिकालीन कविताओं की याद दिलाती रचना हुई है. .. यदि छन्दयुक्त रचना होती तो सोने में सुहागा होता.. :-))

इस कमनीय प्रयास पर हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय सुशील सरनाजी.

Comment by Sushil Sarna on May 19, 2015 at 8:48pm

आदरणीय  vijay nikore  जी रचना  पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by vijay nikore on May 18, 2015 at 5:12am

 अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति ! बधाई।

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2015 at 8:57pm

आदरणीय Mohan Sethi 'इंतज़ार जी रचना  पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2015 at 8:57pm

 आदरणीय  MUKESH SRIVASTAVA जितेन्द्र जी रचना  पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2015 at 8:56pm

आदरणीया kanta roy  जी रचना  पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2015 at 8:55pm

आदरणीय  krishna mishra 'jaan'gorakhpuri  जी रचना  पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2015 at 8:54pm

आदरणीय   shree suneel जी रचना  पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2015 at 8:53pm

आदरणीय   Hari Prakash Dubey जी रचना  पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service