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असर क्या करेंगी अलाये-बलाये /// गजल (एक प्रयास )

मुतकारिब मुसम्मन सालिम

१२२   १२२   १२२   १२२

तुम्हे आज प्रिय नीद ऐसी सुलायें

झरें इस जगत की सभी वेदनायें I  

 

नहीं है किया काम बरसो से अच्छा   

चलो नेह  का एक दीपक जलायें I

 

गरल प्यार में इस कदर जो भरा है  

असर  क्या  करेंगी अलायें-बलायें  I  

 

तुम्हारी  अदा है  धवल -रंग ऐसी   

कि शरमा गयी चंद्रमा की कलायें I

 

जगी आज ऐसी विरह की तड़प है

सहम सी गयी  है सभी चेतनायें I

 

नहीं याद करता शुभे अब तुम्हारी  

हमी मौन रो लें तुम्हें क्यों रुलायें I

 

चलो आज ‘गोपाल’ नजदीक बैठो

हमीं जाम इस शाम तुमको पिलायें I

.

(मौलिक व् अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 10:44am

आ० हरी प्रकाशजी

सादर आभार .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 10:43am

प्रिय कृष्णा

आभार और स्नेह .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 10:42am

आ० वामनकर जी

आपकी कृपा है . सादर.

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 6, 2015 at 10:24am
अच्छे अश’आर हुए हैं आ. गोपाल नारायण जी, दाद कुबूल करें
Comment by Nazeel on April 6, 2015 at 9:50am

आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी. सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 6, 2015 at 7:28am
आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी , बहुत ही खूबसूरत , बधाई , सादर।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 6, 2015 at 7:15am

वाह आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर खूब गज़ल है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 6, 2015 at 1:58am

आदरणीय गोपाल जी ,

क्या बात है  ! पूरी गज़ल अद्भुत लाजवाब बहुत सुन्दर कही है आपने ,दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥ नमन


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Comment by गिरिराज भंडारी on April 6, 2015 at 12:21am

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , क्या बात है  ! पूरी गज़ल बहुत सुन्दर कही है आपने ,दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 5, 2015 at 11:15pm

वाह आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर बेहतरीन गज़ल है बहुत बहुत बधाई आपको

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