“हर बार, वह उस आखिरी ‘समोसे’ की तरह मन मसोस कर रह जाता, जिसे कोई नहीं खाता था, आखिर वह अपने डिग्री कॉलेज की क्रिकेट टीम का ‘१२ वाँ खिलाड़ी जो था’ पर आज उसने हिम्मत जुटाकर ‘कप्तान’ से कहा ‘सर’ एक बार मुझे भी खेलने का मौका चाहिए!”
“अरे यार, तुम तो टीम के अभिन्न अंग हो, तुम तो बस मैच का आनन्द लो, हां बस बीच –बीच में चाय, पानी, समोसा, कोल्डड्रिंक, जूस –वूस ले आया करो !”
“समय बदला और फाइनल मैच से ठीक एक दिन पहले कप्तान और उसका प्रिय खिलाड़ी कार दुर्घटना में जख्मीं हो गए, और उस दिन ‘आशुतोष’ की धुआंधार पारी की बदौलत टीम ने फाइनल मैच जीत लिया!” “आशुतोष को ‘मैन ऑफ़ द मैच’ घोषित किया गया, टीम का उत्साह अपने चरम पर था !”
“बियर की बोतल खुल चुकी थी, आशुतोष के साथ ‘जीत का कप’ हवा में लहरा रहा था, स्टेडियम में तालियों के शोर के बीच से एक आवाज़ बार-बार आ रही थी, वर्दी नंबर १२ .. वर्दी नंबर १२ !”
© हरि प्रकाश दुबे
"मौलिक व अप्रकाशित”
Comment
कई बार अहंकार फिर से जमीन दिखा देता है ,दूसरे को अपने से कमतर नहीं सोचना चाहिए अच्छे विषय पर लिखकर अच्छी लघु कथा लिखी है जो अपना सन्देश छोड़ने में सक्षम है.हार्दिक बधाई आपको हरि प्रकाश दूबे जी
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, यह वह कटु सत्य है जिसके कारण प्रतिभाओं का एक बड़ा हिस्सा उस मुक़ाम तक नहीं पहुँच पाता जहाँ पहुँचना चाइये। हार्दिक बधाई सर ।
लघुकथा के माध्यम से आपने , खेल जगत के सच को साझा किया है आदरणीय हरिप्रकाश जी. अक्सर प्रतियोगिताओं में एसा ही होता है. बधाई स्वीकारें इस सुंदर प्रस्तुति पर.
आदरणीय हरिप्रकाश जी सर ,समय कब किसको भाग्य का पासा पलटने का अवसर प्रदान कर दे कह नहीं सकते |समसामयिक प्रासंगिक रचना हेतु हार्दिक बधाई |सादर अभिनन्दन |
सफल लघुकथा. निहितार्थ को व्यक्त करने में सफल... व्यापक आधार. हार्दिक बधाई आदरणीय हरि प्रकाश जी
वर्दी नंबर १२ .. वर्दी नंबर १२ !” , आदरणीय अपने अन्दर बहुत कुछ अनकहा प्रश्न समेटी हुई है , वर्दी नंबर १२ .. ॥ काश ऐसे ही सच्चाई की जीत हमेशा हो । आपको बधाई इस रचना के लिये ॥
असली प्रतिभा की परख होनी चाहिए ,,,,इस लघु कथा के माध्यम से आपने एक सन्देश दिया है कि हमें अपने अलावां दूसरों को भी अवसर देने चाहिए ,,आपको हार्दिक बधाई आ. हरी प्रकश जी |
आदरणीय हरि प्रकाशजी, आपकी इस लघुकथा के अर्थ व्यापक है.
सादर शुभकामनाएँ..
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