For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Usha Choudhary Sawhney
Share on Facebook MySpace
 

Usha Choudhary Sawhney 's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
Meerut
Native Place
Firozabad
Profession
Assistant Professor - English Literature
About me
I am a self made person. Wish to express my thoughts and listen to others too.

Usha Choudhary Sawhney 's Blog

हमको हमीं से छुपाता कौन है -- डॉ o उषा चौधरी साहनी

सुनते आये हैं, सारी नज़ाकत 

कायनात को हम नारियों से मिली है ,

बीर बहूटी को मखमल ,

गुलाब को लाली, हमीं से मिली है ,

कायनात खुद कहीं-कहीं बेइंतहा सख्त है ,

चट्टान है, आंधी है , धूल है , तूफ़ान है,

फिर भी गुलाब हैं, तितलियाँ हैं, चाँद है,

चाँदनी है, ठंडी हवाएँ हैं , नदियों में चढ़ाव है.

ये कठोर कायनात की ही करामात है ,

हमारी मासूमियत पर रोज़ ये ग्रहण लगाता कौन है.

हमारी मासूमियत हमसे चुराता कौन है,

बचपन से हमको हरदम डराता कौन है,

ये चेहरे पे…

Continue

Posted on February 24, 2015 at 10:45am — 18 Comments

कौन कब किसको रोक पाता है -- डॉo उषा चौधरी साहनी

 
न जाने ऐसा क्यों लगता है , 
किसी एक पल कि सबकुछ 
अपना है, अपने हाथों में है, 
बस , हाथ उठाऊं और ले लूँ , 
समेट लूँ , अपनी बाँहों  में ,
रख लूँ ,सहेज कर अपने पास । 
कितनी खुशियाँ हैं दुनियाँ में , 
सब मेरे लिए , कितनी अपनी हैं ,
पर, दूसरे ही क्षण लगता है…
Continue

Posted on February 22, 2015 at 9:35am — 9 Comments

कह गए थे तुम वापस आओगे-- डॉ o उषा चौधरी साहनी

कह कर गए थे तुम

आओगे वापस ,

जरूर आओगे ।

आस में तुम्हारी ,

लगे युग बीत गए जैसे ,

पर न आये तुम ,

न आये तुम्हारे खत ,

ना ही कोई संदेश ,

कहाँ खो गए तुम ,

भटक गए किस देश ?

जिन राहों पर दूर ,

बहुत दूर तक , चले थे ,

खोये , इक दूसरे में हम,

उन्हें, अब ये आँखें तकती हैं,

ढूंढती हैं तुम्हें , शायद कभी

लौटों तुम उन पर ढूंढते हुये

कि तुम्हारा भी

कुछ रह गया वहां पर ,

कुछ खो गया वहां पर ,

और मैं पा लूँ तुम्हें… Continue

Posted on February 8, 2015 at 7:30pm — 14 Comments

एक सपनों की दुनियाँ में ---- डॉ ० उषा चौधरी साहनी

यूँ ही बस यूँ ही लगता है , 
कभी इस दुनियाँ से निकल जाऊं , 
दूर  बहुत दूर चली जाऊं , 
किसी और दूसरी दुनियाँ में खो जाऊं, 
सपनों  दुनियाँ में चली जाऊं , 
आँखें मूँद लूँ ,  सपने देखूं , 
खूब ढेर  से  सपने देखूं , 
वो चाहे झूठे  ही क्यों न हों , 
कितने ही झूठे , पर देखूं , 
हँसू , खुद पर हँसू , इतराऊँ , 
मुस्कुराऊँ , धीरे से मुस्कुराऊँ, 
अपने में ही  खो जाऊं…
Continue

Posted on February 5, 2015 at 10:30pm — 14 Comments

Comment Wall (11 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 12:30pm on February 12, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय राजेश कुमारी जी, आपके प्रोत्साहन के लिए सादर धन्यवाद।

At 12:29pm on February 12, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी सादर धन्यवाद। 

At 6:37pm on February 11, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , मेरी रचना को सराहने के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद।

At 6:33pm on February 11, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय गोपाल नारायन सर , मेरी रचना पर अत्यंत सकारात्मक टिप्पणी के लिए आपका सादर धन्यवाद।

At 8:00pm on February 6, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय  जीतेन्द्र पस्टारिया जी सादर धन्यवाद

At 7:45pm on February 6, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय  जीतेन्द्र पस्टारिया जी सादर धन्यवाद, 

At 7:44pm on February 6, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय  सोमेश कुमार जी सादर धन्यवाद, 

At 7:40pm on February 6, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय  श्याम नारायण वर्मा जी रचना को सराहने के  लिए सादर धन्यवाद

At 7:37pm on February 6, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर जी,आपकी प्रतिक्रिया के लिए सादर धन्यवाद, बात सिर्फ इतनी है कि इस भागम भाग की दुनिया से दूर कही कभी कभी एक अवकाश लिया जाये,बस 

At 7:32pm on February 6, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय  विजय शंकर जी आपके प्रोत्साहन के लिए सादर धन्यवाद

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
11 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
46 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
15 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service