For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बदन पे वही लिबास भाई।

22 22 22 22
बदन पे वही लिबास भाई।
दिखता फिर से उदास भाई।।

कड़वी बातें क्यों करते हैं।
कुछ तो रखिये मिठास भाई।।

वादों की बौछार न करिये।
सच में हो इक प्रयास भाई।।

मरा भूख से फिर भी देखो।
लगते क्या क्या कयास भाई।।

चाँद तारे किस काम के जब।
दीपक से घर उजास भाई।।
********************
-राम शिरोमणि पाठक
मौलिक।अप्रकाशित

Views: 798

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on February 6, 2015 at 9:49am
आदरणीय गिरिराज जी अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार आपका।।सादर
Comment by ram shiromani pathak on February 6, 2015 at 9:46am
खुर्शीद साहेब बहुत बहुत आभार आपका।।सादर
Comment by ram shiromani pathak on February 6, 2015 at 9:46am
गुमनाम भाई उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक आभार आपका।।सादर
Comment by ram shiromani pathak on February 6, 2015 at 9:45am
मिथिलेश भाई हार्दिक आभार आपका।।सादर
Comment by ram shiromani pathak on February 6, 2015 at 9:44am
आदरणीय गणेश जी आपके अमुल्य सुझाव व् उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक आभार आपका।।मैंने सुधार कर लिया है।।सादर
Comment by khursheed khairadi on February 3, 2015 at 10:04am

आदरणीय रामशिरोमणि जी सुन्दर ग़ज़ल हुई है |सादर अभिनन्दन |

Comment by gumnaam pithoragarhi on February 1, 2015 at 6:44pm

वाह आदरणीय बहुत ही सुंदर ग़ज़ल प्रस्तुत की है आपने … हार्दिक बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 1, 2015 at 12:29pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी बहुत अच्छी ग़ज़ल है दाद कुबूल फरमायेँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2015 at 11:54am

आ. राम भाई , अच्छी गज़ल हुई है , आपको दिल से बधाइयाँ प्रेषित कर रहा हूँ , स्वीकार करें ।
आ. बागी जी की सलाह बहुत सही है , तदानुसार सुधार कर लीजियेगा ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 1, 2015 at 11:25am

//कड़वाहट की बातें छोड़ो
कुछ तो रखिये मिठास भाई।।//

राम भाई, यदि मिसरा उला में छोड़ो है तो सानी में रखिये गलत है, रखो करना होगा या फिर उला में छोड़ो को छोडिये करना होगा वर्ना यह एक ऐब होगा . 

//वादों की बौछार न करिये।
सच में हो इक प्रयास भाई।।// क्या कहने जनाब, बहुत उम्दा. बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल हेतु.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service