For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे गृह भी आये दिनकर(नवगीत)

नभ के हाँथ गुलाल हो गया
मुख प्राची का लाल हो गया
मेरे गृह भी आये दिनकर

प्रथम किरण के साथ साथ ही
तम को जैसे जेल हो गया
रवि आते हैं तम जाता है
लुका छिपी का खेल हो गया
बदली के पीछे से देखो
ताँक झाँक करते रह रहकर
मेरे गृह भी आये दिनकर

मादक सी अँगड़ाई लेती
कलियों की मुस्कान देख लो
कोयल गाती है किस धुन में
उसकी प्यारी गान देख लो
ताली बजा रहें है पत्ते
झूम झूमकर नाचे तरुअर
मेरे गृह भी आये दिनकर

इन्द्र धनुष के सात रंग से
आये सूर्य करके श्रृंगार
ह्रदय प्रफुल्लित हुआ देखकर
वाह बिखरा अनुपम संभार
देखो नभ का सम्राट आ गया
उजले घोड़ों पे सज धजकर
मेरे गृह भी आये दिनकर।।

-राम शिरोमणि पाठक
मौलिक।अप्रकाशित

Views: 432

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2015 at 8:08pm

आ. राम भाई , सुन्दर नवगीत रचना के लिये बधाई ॥

Comment by Hari Prakash Dubey on January 7, 2015 at 5:59pm

उजले घोड़ों पे सज धजकर
मेरे गृह भी आये दिनकर.......सुन्दर प्रयास , शुभकामनाएं आपको , राम शिरोमणि पाठक जी !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 7, 2015 at 1:49pm

सुन्दर प्रयास राम भाई, बधाई.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 7, 2015 at 1:40pm

Pathak jee

अच्छा प्रयास है i

Comment by ram shiromani pathak on January 6, 2015 at 11:53pm
हार्दिक आभार भाई मिथिलेश जी।।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 6, 2015 at 10:32pm
सुन्दर रचना । हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
23 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service