For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कमल-नैन या कंज-लोचन है वह  

कहते है शोक-विमोचन है वह  

पद्म -पांखुरी जैसे है अधर

रक्त-नलिन से कपोल है सुघर

 

नील-नीरज सा मोहक वदन

वपुष नीलोत्पल सुषमा-सदन

है दीर्घ बाहे अम्बुज की नाल

पाद-पुष्ट मानो है पंकज मृणाल

 

हाथ की हथेली है राजीव-दल

विकसित है कर में श्याम-शतदल

चरण-सरोज की है महिमा अनूप

सांवले सरोरुह सा खिला-खिला रूप

 

रहता प्रफुल्ल जिसका अंतस-कमल  

नीलोफर रूप जिसका विमल-अमल

हा ! अब्ज का यह ढेर कौन ?

बोल ! बोल ! बोल ! मेरे मुखर मौन !

 

राम हैं  या कृष्ण हैं  महज अंदाज से

या फिर तुलसी-सूर-कविता के ब्याज से

(मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 770

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 7, 2015 at 1:27pm

विजय सर !

आपने कविता की जिन पंक्तियों को पकड़ा  उससे ही  लगा आप मर्म तक पहुँच गए है i आपकी गुणज्ञता का प्रशंसक हूँ मैं i सादर i  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 7, 2015 at 1:24pm

गुमनाम जी

हार्दिक आभार i

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 7, 2015 at 5:19am
रहता प्रफुल्ल जिसका अंतस-कमल
नीलोफर रूप जिसका विमल-अमल
हा ! अब्ज का यह ढेर कौन ?
बोल ! बोल ! बोल ! मेरे मुखर मौन !

राम हैं या कृष्ण हैं महज अंदाज से
या फिर तुलसी-सूर-कविता के ब्याज से
सुन्दर , भाव पूर्ण प्रस्तुति, बधाई आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी , सादर।
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 6, 2015 at 9:44pm
हाथ की हथेली है राजीव-दल

विकसित है कर में श्याम-शतदल

चरण-सरोज की है महिमा अनूप

सांवले सरोरुह सा खिला-खिला रूप

वाह खूब है सर जी वाह
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 6, 2015 at 3:16pm

खुर्शीद जी

सादर सप्रेम आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 6, 2015 at 3:15pm

सोमेश जी

आभार प्रिय i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 6, 2015 at 3:14pm

मिथिलेश जी

हमारे आराध्य कवियों ने राम श्याम का हर अंग  कमल के समान बताया तो क्या कमल का ढेर ही हमारे भगवान् है  i प्रतीकवादी कविता इसी के विद्रोह में शुरू हुयी कि हम नये उपमानो  का प्रयोग क्यों न करें i यही इस कविता  का भी मूल है i सादर i

Comment by khursheed khairadi on January 6, 2015 at 11:25am

हाथ की हथेली है राजीव-दल

विकसित है कर में श्याम-शतदल

चरण-सरोज की है महिमा अनूप

सांवले सरोरुह सा खिला-खिला रूप

आदरणीय गोपालनारायण सर ,सुन्दर गीत है |हिंदी पर्यायवाची और समासों का सोंदर्य आपकी रचनाओं में सदैव चरम पर होता है ,जो मन मोहक है |सादर अभिनन्दन |

Comment by somesh kumar on January 6, 2015 at 10:50am

सुंदर !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 5, 2015 at 8:53pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर इस सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें 

सुन्दर पंक्तिया है -

हाथ की हथेली है राजीव-दल

विकसित है कर में श्याम-शतदल

चरण-सरोज की है महिमा अनूप

सांवले सरोरुह सा खिला-खिला रूप

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय इस मंच पर न कोई उस्ताद है न कोई शागिर्द। यहां सभी समवेत भाव से सीख रहे हैं। यहां गुरु चेला…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service