For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साथ मेरे ज़िंदगी की …

साथ मेरे ज़िंदगी की …(एक रचना )

साथ  मेरे ज़िंदगी  की रूठी किताब रख देना
जलते चरागों में  बुझे  वो  लम्हात रख देना

रात भर सोती रही शबनम जिस आगोश में
रूठी बहारों में वो सूखा  इक गुलाब रख देना

कहते कहते रह गए  जो थरथराते से ये लब
साथ मेरी  धड़कनों  के वो जज़्बात रख देना

आज तक न दे सके जवाब जिन सवालों का
साथ मेरे  वो सिसकते कुछ जवाब रख देना

मिट गयी थी दूरियां  भीगी हुई जिस रात में
एक मुट्ठी  साथ  मेरे  वो  बरसात रख देना

तमाम शब  तन्हाई  में  जो  मेरे  करीब रहा
साथ मेरे वो  उदास  इक  माहताब रख देना

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 552

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 3, 2015 at 2:09pm

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 2, 2015 at 7:57pm

बहुत सुंदर रचना, आदरणीय शुशील जी. हार्दिक बधाई व् नववर्ष की शुभकामनायें स्वीकारें.

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:18pm

आदरणीय  khursheed khairadi जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:18pm

आदरणीय  somesh kumar जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:17pm

आदरणीय  शिज्जु "शकूर" जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:17pm

आदरणीय   मिथिलेश वामनकर   जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:16pm

आदरणीय   Hari Prakash Dubey   जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:16pm

आदरणीय  SHARAD SINGH "VINOD"  जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2015 at 3:13pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव    जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by khursheed khairadi on January 2, 2015 at 1:48pm

आज तक न दे सके जवाब जिन सवालों का 
साथ मेरे  वो सिसकते कुछ जवाब रख देना

मिट गयी थी दूरियां  भीगी हुई जिस रात में 
एक मुट्ठी  साथ  मेरे  वो  बरसात रख देना

आदरणीय सुशील सर सभी अशहार नायाब हुये हैं |सादर अभिनन्दन |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
21 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
30 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
32 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
23 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service