For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नव वर्ष कहलायेगा.............

नव वर्ष कहलायेगा.......

ऐ भानु
तुम न जाने
कितनी सदियों को
अपने साथ लिए फिरते हो
सृजन और संहार को
अपने अंतःस्थल में समेटे
खामोशी से
न जाने किस लक्ष्य की प्राप्ति में
प्रतिदिन स्वयं की आहुति देते हो
आश्चर्य है
धरा के संताप हरने को
अपने सर पर ताप लिए फिरते हो
आदिकाल से
प्रतिदिन अपनी केंचुली बदलते हो
हर आज को काल के गर्भ में सुलाते हो
फिर नए कल के लिए
नए स्वप्न लिए भोर बन के आते हो
समय का चक्र
अपनी गति से चलायमान रहता है
हंसी आती है तुम्हारे संकल्प पर
तुम्हारी इस धरा पर
खाल में ढके कंकाल से
किसी संकल्प के पूर्ण होने की अपेक्षा बेकार है
ये मानव स्वार्थी है
ये अपनी मुट्ठी में
अपना प्रकाश और अंधकार समेटे है
ब्रह्माण्ड की उत्पति काल से
तुम ३६५ दिन में एक नयी आशा के साथ
करवट लेते हो
नूतन पोशाक धारण कर
नव वर्ष के रूप में अवतरित होते हो
लेकिन ३६४ दिन ये धरा का मानव
तुम्हारी भावनाओं,उद्देश्यों के साथ
कभी उजाले में तो कभी अन्धकार में
खिलवाड़ ही करता आ रहा है
ये रिश्तों के बाँध तोड़कर
झूठ और फरेब की नक़ाब पहनकर
बालात्कार की चीखों पर नृत्य कर
हर पल सामाजिक मर्यादाओं की खिल्ली उड़ाकर
प्रभु के बनाये सृष्टि के नियमों का उपहास उड़ाकर
तुम्हें प्रतिपल ज़ख़्म देकर छलनी करता है
क्या इसी को प्रसन्नता देने के लिए तुम
नव वर्ष के रूप में करवट बदलते हो
एक भानु
तुम महान हो
तुम मानव की भलाई के लिए जलते रहे
और मानव तुम्हें छलते रहे
जिस दिन मानव मानव के लिए जियेगा
कुकर्मों से तौबा कर लेगा
रिश्तों में मिठास का संकल्प लेगा
उसी दिन ऐ भानु
तुम नव वर्ष के रूप में अवतरित होना
जिस दिन धरा से
आपसी बैर मिट जाएगा
वही दिन

नव वर्ष कहलायेगा

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 5, 2015 at 1:31pm

आदरणीय  JAWAHAR LAL SINGH जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। आपको  नव वर्ष सपरिवार मंगलमय हो। 

Comment by Sushil Sarna on January 5, 2015 at 1:31pm

आदरणीय  ram shiromani pathak जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। आपको  नव वर्ष सपरिवार मंगलमय हो। 

Comment by Sushil Sarna on January 5, 2015 at 1:31pm

आदरणीय  शिज्जु "शकूर" जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। आपको  नव वर्ष सपरिवार मंगलमय हो। 

Comment by Sushil Sarna on January 5, 2015 at 1:30pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। आपको  नव वर्ष सपरिवार मंगलमय हो। 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 4, 2015 at 6:29pm

जिस दिन धरा से 
आपसी बैर मिट जाएगा 
वही दिन

नव वर्ष कहलायेगा

सुन्दर सन्देश देती रचना ...बधाई!

Comment by ram shiromani pathak on January 4, 2015 at 3:24pm
सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय।।बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 4, 2015 at 11:12am

आदरणीय सुशील जी इस सुंदर रचना के लिये आपको हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 3, 2015 at 8:40pm

बहुत सुन्दर बात कही आदरणीय सच है -

जिस दिन धरा से
आपसी बैर मिट जाएगा
वही दिन

नव वर्ष कहलायेगा              -- हार्दिक बधाई  आदरणीय ।

Comment by Sushil Sarna on January 3, 2015 at 7:36pm

आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। आपको सपरिवार नव वर्ष मंगलमय हो। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 3, 2015 at 4:14pm

भानु
तुम महान हो
तुम मानव की भलाई के लिए जलते रहे
और मानव तुम्हें छलते रहे
जिस दिन मानव मानव के लिए जियेगा
कुकर्मों से तौबा कर लेगा
रिश्तों में मिठास का संकल्प लेगा
उसी दिन ऐ भानु
तुम नव वर्ष के रूप में अवतरित होना
जिस दिन धरा से
आपसी बैर मिट जाएगा
वही दिन

नव वर्ष कहलायेगा-------------------------सुन्दर विचार i सरना जी i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
27 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा…"
30 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय बृजेश कुमार जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
37 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मैं आपके कथन का पूर्ण समर्थन करता हूँ आदरणीय तिलक कपूर जी। आपकी टिप्पणी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"धन्यवाद आ. दयाराम मेठानी जी "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. बृजेश कुमार जी.५ वें शेर पर स्पष्टीकरण नीचे टिप्पणी में देने का प्रयास किया है. आशा है…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी से ग़ज़ल कहने का उत्साह बढ़ जाता है.तेरे प्यार में पर आ. समर…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह-वह और वाह भाई दिनेश जी....बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है बधाई.... "
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"अद्भुत है आदरणीय नीलेश जी....और मतला ही मैंने कई बार पढ़ा। हरेक शेर बेमिसाल। आपका धन्यवाद इतनी…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"वाह-वाह आदरणीय भंडारी जी क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है। और रदीफ़ ने तो दीवाना कर दिया।हार्दिक…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service